मै भी लूटूं तू भी लूट

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मै भी लुटूं तू भी लूट
मै भी लुटूं तू भी लूट ।
यूं ही रिश्ता रहे अटूट।

उपर वालों को भी खिलायें।
खुद भी पियें उनको भी पिलायें।
ऐसा करें हमेशा गर तो
दोनों पहनें मंहगे सूट।
मै भी लुटूं तू भी लूट।
यूं ही रिश्ता रहे अटूट।

अंग्रेजों ने हमे सिखाया।
हमने भी इसको अपनाया।
शासन अगर तुम्हें करना है
पब्लिक मे तुम डालो फूट।
मै भी लुटूं तू भी लूट।
यूं ही रिश्ता रहे अटूट।

कोई अगर करे कंपलेन
साहब को दो तुम शैम्पेन।
मिलजुल दोनों मौज उड़ाओ
साथ मे लो तुम दो-दो घूँट।
मै भी लुटूं तू भी लूट।
यूं ही रिश्ता रहे अटूट।

देश का धन हैं देश में रखते।
भारत माता की जय कहते।
देश को लूटें देश को खायें
जब हम हो जायें एक जूट।
मै भी लुटूं तू भी लूट।
यूं ही रिश्ता रहे अटूट।

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जगदीश खेतान 

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