tag:blogger.com,1999:blog-48097929960839385232024-03-05T19:44:46.575-08:00मंगलज्योतिसाहित्यिक अभिव्यक्ति
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.comBlogger200125tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-33870917190939560372022-07-31T09:09:00.003-07:002022-07-31T09:11:15.015-07:00महिलाएं ई-सेक्स मैनियाक से सावधान रहें<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<p>हर महिला के फेसबुक की ब्लाॅक लिस्ट में शायद सौ से ज़्यादा मानसिक तौर पर जो विकृत होते है ऐसे लोग पड़े होंगे।</p>
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBClyVIoUCVhQfhylBu25iNWqxpuu3TD6BAtdK2ou9ZGUiQE2YCD3TMr53koVkap-yjrGfL8aTqzzCHQXOKPn2sdBIirV7j9rZs3EkgQzz56p446geHOCTwoXcKtSPHWQ2-EXQ2Vbcb-NADFBLoKvC3Do81hYhHFSgitDyf-YpNs2CIikdLVAe7YP1cg/s1024/e-sex.jpg" style="clear: right; display: block; margin-left: auto; margin-right: auto; padding: 1em 0px; text-align: center;"><img alt="" border="0" data-original-height="576" data-original-width="1024" height="225" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBClyVIoUCVhQfhylBu25iNWqxpuu3TD6BAtdK2ou9ZGUiQE2YCD3TMr53koVkap-yjrGfL8aTqzzCHQXOKPn2sdBIirV7j9rZs3EkgQzz56p446geHOCTwoXcKtSPHWQ2-EXQ2Vbcb-NADFBLoKvC3Do81hYhHFSgitDyf-YpNs2CIikdLVAe7YP1cg/w400-h225/e-sex.jpg" width="400" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="text-align: left;">महिलाएं ई-सेक्स मैनियाक से सावधान रहें</span></td></tr></tbody></table><p>सोशल मीडिया महिलाओं के लिए बहुत ही असुरक्षित और ख़तरनाक होता जा रहा है। ई-सेक्स मैनियाक यानी जो मानसिक तौर पर विकृत होते है ऐसे लोगों की भरमार मिलती है। हर महिला के मैसेंजर पर लाइन लगी होती है। मानों महिलाओं को फसाने का मौका ढूँढ रहे होते है। फेसबुक और इंस्टा पर जाल बिछा रखी है ऐसे बेशर्मों ने। इनको लगता है फेसबुक पर रहने वाली हर औरत चीप है और इन जैसों की प्यास बुझाने ही बैठी है। ये प्रोसेस फेसबुक मैसेंजर पर हाय, हैलो से शुरू होती है। पहले डीपी पर लगी तस्वीर की तारीफ़ों के पुल बाँधते चिकनी चुपड़ी और सैक्सी भाषा का प्रयोग करते खुद को महिला का बहुत बड़ा आशिक जताने की कोशिश करते है। बाईस-पच्चीस साल के लड़के उम्र तक नहीं देखते और चले आते है लाइन मारने। हाय मैम आपकी हंसी बहुत प्यारी है। मैम आप मुश्किल से पच्चीस साल की लगती हो। प्लीज़ मैम बताईये न आपकी साइज़ क्या है? बहुत फिट रखा है आपने खुद को वगैरह। इस तरह चालीस-पैतालीस साल की महिलाओं पर झूठा प्रेम जताते मर मिटने का नाटक करते है ऐसे सेक्स के पूजारी। उनको चेहरे से नहीं गंदी चैट से और सैक्स से मतलब होता है। अगर महिला पट गई तो इनकी ऐश है वरना दूसरी ढूँढते है। ऐसा नहीं की सिर्फ़ जवान और कुँवारे लड़के ही ऐसी हरकतें करते है, शादी शुदा दो बच्चों के बाप 40/45 साल के पुरुष भी अपनी फैमिली की झूठी कहानियाँ बनाकर सहानभूति बटोरते पत्नी को विलैन बनाकर रोने के इमोजी डालेंगे। पत्नी भले देवी का अवतार हो पर इनको दूसरों को देवी में मल्लिका शेरावत ढूँढनी है और इसके लिए महिलाओं को अपनी या गूगल से उठाई गई गंदी तस्वीरें भेजकर पिघलाने की कोशिश करते है। </p><p>जो महिलाएं इन लोगों की जाल में नहीं फंसती उनकी तस्वीर का गलत इस्तेमाल करके फेंक एकाउंट बनाकर उनकी सहेलियों को फ्रेंड बनाते है, और अभद्र शब्दों में चैट करके बदनाम करने की कोशिश करते है। </p><p>ज़्यादातर महिलाएं ऐसे मनचलों को जान चुकी है, वह नहीं फंसती। पर लगभग दस में से चार महिला ऐसे ई-सेक्स मैनियाक का शिकार बनती होगी। खासकर ऐसे लोग झूठा प्रेम जताकर चालीस के आसपास की उम्र वाली महिलाओं को फंसाने की कोशिश करते है। वह जानते है धोखा मिलने पर शादीशुदा औरतें बदनामी के डर से आवाज़ नहीं उठाएगी। </p><p>इनमें ऐसे सायको लोगों की गलती नहीं है कुछ महिलाएं भी मस्ती के मूड़ में बहक जाती है, या कई बार कोई महिला घर से प्रताड़ित होती है तो दिल बहलाने के लिए ऐसे आशिकों की जाल में फंस जाती है, फिर एक सिलसिला चलता है। महिला को लगता है बंदा उसे दिलों जान से चाहता है, उस चक्कर में अपनी न्यूड़ तस्वीरें और विडियो के ज़रिए अपना सबकुछ लूटा देती है, जबकि सामने वाला ऑनलाइन सेक्स का विकृत आनंद उठाता है और कुछ नहीं। फिर जब एक महिला से दिल भर जाता है तो दूसरी को पटाने चला जाता है। </p><p>महिलाओं को बहुत चौकन्ना रहकर ऐसे मनचलों से दूर ही रहना चाहिए, या ऐसा होने पर खानगी तौर पर पुलिस की मदद लेकर ऐसे आवारा तत्वों का पर्दाफाश करना चाहिए। चुप रहने से ऐसे लोगों का हौसला बढ़ता है। दो चार को पुलिस लताड़ेगी तो ऐसी वारदातें कम होगी। ज़्यादातर लोग फेसबुक मैसेंजर का उपयोग महिलाओं को फसाने के लिए और वासना पूर्ति के लिए ही करते है। इसलिए महिलाओं को सोशल मीडिया पर कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। </p><p>अपनी तस्वीरें और पर्शनल मैटर पब्लिक डोमेन पर शेयर नहीं करनी चाहिए, और हैशटैग का उपयोग नहीं करना चाहिए। अन्जान नं से लगातार काॅल आने पर तुरंत नं ब्लाक कर देना चाहिए। नंबर रिलेटिड माहिती देने वाली एप 100 प्रतिशत विश्वसनीय है की नहीं चैक करना चाहिए। मैसेंजर पर अन्जान लोगों से हाय हैलो और लंबी चैट करने से बचना चाहिए। अपने एकाउंट में दो फ़ेक्टर आथोन्टिकेशन ऑन रखना जरूरी है। हर लिंक पर बिना सोचे समझे क्लिक नहीं करना चाहिए। बिनजरूरी एप को डाउनलोड न करें। पब्लिक वाई-फाई का उपयोग भी हो सके तो नहीं करना चाहिए और पब्लिक चार्ज़िंग प्वाइंट को भी इग्नोर कीजिए। मानों अगर आपसे गलती हो भी गई और सामने वाला ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है तो डर के मारे चुप मत रहिए, फेसबुक पर ऐसे लोगों की रिपोर्ट कर दीजिए और पुलिस को इक्तिला कीजिए। कुछ बातों की सावधानी आपको हादसों से बचा सकती है। सोशल मीडिया जितना उपयोगी है उतना ही ख़तरनाक भी है तो सतर्कता चलाईये।</p><img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><p>
भावना ठाकर 'भावु' (बेंगलोर,कर्नाटक)</p></div>@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-52087096173895156592021-05-06T09:07:00.004-07:002021-05-06T09:08:52.623-07:00जिन्दगी में हमेशा मुश्किलें रहती हैं<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;"> <p> जब टाईटेनिक समुन्द्र में डूब रहा था तो उसके आस पास तीन ऐसे जहाज़ मौजूद थे जो टाईटेनिक के मुसाफिरों को बचा सकते थे।</p><p>सबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था उसका नाम SAMSON था और वो हादसे के वक्त टाईटेनिक से सिर्फ सात मील की दूरी पर था।<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2ePALyjDyYa7x5TqxOsxQfV-5cQJeyhQQ4uT-9m8uu-95dV11ub0UXdbJ3FhOLWlh_W73VPMymL7EM963-x-0k6HUd46bqTTphQG2IYjic5BLnmOB1Pa6zu7p0UaGdezb7FKYG-Cd0ZbD/s1200/I0605211.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="749" data-original-width="1200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2ePALyjDyYa7x5TqxOsxQfV-5cQJeyhQQ4uT-9m8uu-95dV11ub0UXdbJ3FhOLWlh_W73VPMymL7EM963-x-0k6HUd46bqTTphQG2IYjic5BLnmOB1Pa6zu7p0UaGdezb7FKYG-Cd0ZbD/s320/I0605211.jpg" width="320" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>Image1</b></td></tr></tbody></table><br /></p><p>SAMSON के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक की ओर से फायर किए गए सफेद शोले (जो कि बेहद खतरे की हालत में हवा में फायर किये जाते हैं।) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरों के चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था। लेकिन सैमसन के लोग गैर कानूनी तौर पर बेशकीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नहीं चाहते थे कि पकड़े जाएं, अपने जहाज़ को दूसरी तरफ़ मोड़ कर चले गए।</p><p>यह जहाज़ हम में से उन लोगों की तरह है जो अपनी गुनाहों भरी जिन्दगी में इतने मग़न हो जाते हैं कि उनके अंदर से इनसानियत खत्म हो जाती है।</p><p>दूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था उसका नाम CALIFORNIAN था, जो हादसे के वक्त टाईटेनिक से चौदह मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने भी टाईटेनिक की ओर से निकल रहे सफेद शोले अपनी आखों से देखे, क्योंकि टाईटेनिक उस वक्त बर्फ़ की चट्टानों से घिरा हुआ था और उसे उन चट्टानों के चक्कर काट कर जाना पड़ता, इसलिए वो कैप्टन सुबह होने का इन्तजार करने लगा।और जब सुबह वो टाईटेनिक की लोकेशन पर पहुंचा तो टाईटेनिक को समुन्द्र की तह मे पहुचे हुए चार घंटे गुज़र चुके थे और टाईटेनिक के कैप्टन Adword_Smith समेत 1569 मुसाफिर डूब चुके थे।</p><p>यह जहाज़ हम लोगों मे से उनकी तरह है जो किसी की मदद करने के लिए अपनी सहूलियत और आसानी देखते हैं और अगर हालात सही न हों तो अपना फ़र्ज़ भूल जाते हैं।</p><p>तीसरा जहाज़ CARPHATHIYA था जो टाईटेनिक से 68 मील दूर था, उस जहाज़ के कैप्टन ने रेडियो पर टाईटेनिक के मुसाफारों की चीख पुकार सुनी, जबकि उसका जहाज़ दूसरी तरफ़ जा रहा था, उसने फौरन अपने जहाज़ का रुख मोड़ा और बर्फ़ की चट्टानों और खतरनाक़ मौसम की परवाह किए बगैर मदद के लिए रवाना हो गया। हालांकि वो दूर होने की वजह से टाईटेनिक के डूबने के दो घंटे बाद लोकेशन पर पहुच सका लेकिन यही वो जहाज़ था, जिसने लाईफ बोट्स की मदद से टाईटेनिक के बाकी 710 मुसाफिरों को जिन्दा बचाया था और उन्हें हिफाज़त के साथ न्यूयार्क पहुचा दिया था।</p><p>उस जहाज़ के कैप्टन "आर्थो रोसट्रन " को ब्रिटेन की तारीख के चंद बहादुर कैप्टनों में शुमार किया जाता है और उनको कई सामाजिक और सरकारी आवार्ड से भी नवाजा गया था।</p><p>हमारी जिन्दगी में हमेशा मुश्किलें रहती हैं, चैलेंज रहते हैं लेकिन जो इन मुश्किल और चैलेंज का सामना करते हुए भी इन्सानियत की भलाई के लिए कुछ कर जाए वही सच्चा इन्सान है। </p><p>आज के माहौल में जिस किसी ने भी अपनी सामर्थ्य अनुसार किसी की मदद की है, समझो विश्व रूपी टाइटैनिक के डूबने से पहले उसने जिंदगियां बचाने का पुण्य प्राप्त किया है। अभी संकट दूर नहीं हुआ है। अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है। आओ मिलजुल कर इस मुश्किल घड़ी में एक दूसरे की मदद करें।</p><p>*******************</p><p><b>Mr. Sharwan Kumawat</b></p>@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-80813364018321803052020-10-04T01:15:00.002-07:002020-10-04T01:16:02.301-07:00अबोली भाषा<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;"> <p> </p><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right;"><tbody><tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgisM2EXGZ9Qhffg7amIyr0Z8-VY2mIjcDMtQuhEAmz5d95LksaW516kiSKnqRzk27l3F-IDzF-sY9lhHi1E4VqfxvP_yvFUQmHYLlOxZjVhJki6z2fJfCXy1onUzPleXxOph4jZYJDmh18/s709/Aboli+bhasha.jpg" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="709" data-original-width="532" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgisM2EXGZ9Qhffg7amIyr0Z8-VY2mIjcDMtQuhEAmz5d95LksaW516kiSKnqRzk27l3F-IDzF-sY9lhHi1E4VqfxvP_yvFUQmHYLlOxZjVhJki6z2fJfCXy1onUzPleXxOph4jZYJDmh18/s320/Aboli+bhasha.jpg" /></a></td></tr><tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="font-size: x-small;">अबोली भाषा</span></b></td></tr></tbody></table>शशांक को बचपन से ही पप्पा से असाधारण लगाव था। उसके पप्पा पुष्पशील भी उस पर जान छिड़कते, उसका पूरा ध्यान भी रखते। शशांक को छुटपन में चलना सिखाने के लिए वे हर छुट्टी के दिन उसे नौ किलोमीटर दूर स्थित राष्ट्रीय उद्यान की नरम घास पर चलना सिखाने ले जाते ताकि गिरने पर उसे कम से कम चोट आए। उन्होंने सदैव इसी प्रकार हर क्षेत्र में उसे सशक्त व सक्षम बनाने, उसके व्यक्तित्व को निखारने के भरसक प्रयत्न किये। शशांक के जीवन के आदर्श पप्पा, स्वयं तो शहर के नामचीन चार्टर्ड अकाउंटेंट थे पर उन्होनें शशांक पर कभी यह दबाव न बनाया कि वह भी उन्हीं के पेशे को अपनाए। उसकी पसंद के अनुरूप उसका दाखला संगणक विज्ञान स्नातक महाविद्यालय में करवा दिया। शशांक स्वभाव से अंतर्मुख होने के कारण उसके मित्र गिनती के ही थे। प्रायः वह सप्ताहांत अपने पिता के साथ विविध विषयों पर चर्चा करता, सैर सपाटे के लिए कहीं जाता , फिल्म देखने जाता या अपनी पुस्तकालय में अपने पुस्तकों में सर खपाने में खोया रहता।<p></p><p><br /> </p><p> स्नातकोत्तर अभ्यास के लिए उसके पिता ने जब उसे अमेरिका जाने की सलाह दी तो वह अनमना सा हो गया। विश्व के सर्वोच्च विश्वविद्यालय में शिक्षा पाने की खुशी की तुलना में उसे अब पिता से दूर रहने का दुख अधिक हो रहा था। ऐसा भी नहीं कि उसे अपनी मम्मी ' वैखरी ', जो संगीत विशाराद की शिक्षा के पश्चात लगभग दो दशकों से अपने संगीत विद्यालय, गायन व अनुशासन के लिए शहर भर में अपना विशेष स्थान रखती हैं शशांक को प्रिय नहीं! वे सदा अपनी संगीत की दुनिया में खोई रहने वाली व मृदु व मित भाषी हैं। शशांक ने अपने मम्मी पापा को कभी ऊंची आवाज़ में बहस तक करते नहीं पाया। मम्मी का स्नेहिल स्पर्श व उनके के गाने या गुनगुनाने के स्वर के उसके भाव विश्व के घर के अभिन्न अंग बन चुके हैं। पर पिता से दूर रहने की कल्पना भी वह सह नहीं पा रहा था। पप्पा के तर्कों के सामने नतमस्तक होकर वह पढ़ाई के लिए अमेरिका चला गया। मन लगा कर पढ़ाई की तथा कैंपस इंटरव्यू में उसे मनचाही नौकरी भी मिल गई। पिता से उसका लगाव उतना बना रहा। सप्ताहांत में दोनों स्काइप पर घंटों बतियाते रहते। </p><p> देखते देखते पाँच वर्ष बीत गए। इस बीच पप्पा मम्मी मिलकर एक अच्छा सा बंगला खरीद लिया व वहीं रहने लगे। इस बंगले में शशांक के रहने तथा काम करने के लिए कमरे थे व एक बगीचा भी था। पप्पा ने वहाँ के एक एक पौधे से उसका परिचय करवाया था। इस बीच उसने दो बार मम्मी पप्पा को महीने भर अपने पास बुलवा लिया। दूसरी बार तो शशांक ने उन दोनों से सदा के लिए वहीं उसके साथ ही रहने का आग्रह भी किया पर उसके पप्पा व मम्मी को वहाँ नठल्ले रहना रास ना आया। इस पर शशांक ने कहा कि बस यहाँ एक बार ग्रीन कार्ड मिल जाय तो फिर मैं ही वहाँ आता जाता रहूँगा। </p><p> एक दिन शशांक कार्यालय की बैठक में व्यस्त था कि उसका मोबाइल बज उठा। मम्मी के नंबर से कॉल था। यह उसे खटका व चिंता भी हुई कि अभी तो मुंबई में रात के तीन बजे हैं... क्या बात हो गई??? शशांक बैठक के बीच से उठ कर बाहर आया। मम्मी ने कहा "पापा आई सी यू में हैं। डॉक्टर ने तुझे तुरंत सूचित करने को कहा है।" " पापा तो अपने स्वास्थ्य के प्रति सदा सजग रहते थे! क्या हुआ उन्हें?" शशांक ने पूछा। "बेटे डॉक्टर ने कहा हृदय का दौरा पड़ा है।" "मम्मी तुम चिंता ना करना मैं तुरंत निकल रहा हूँ।" कार्यालय व्यवस्थापन ने तुरंत छुट्टी देने में अड़ंगा लगाया तो शशांक ने राजीनामे की पेशकश कर दी... अंत में छुट्टी मिल गई तथा वह पहली उड़ान पर सवार हो गया।</p><p> पर वह पप्पा से मिल ना पाया। वास्तविकता में मम्मी ने फोन किया तब पप्पा का अकस्मात ही निधन हो चुका था। उसके आने तक पिता का शव शीतपेटी में रखा रहा। अंत्येष्टि के समय उसे आश्चर्य हो रहा था कि वह अपने आप को बाहर से इतना संयत कैसे रखे हुए है जबकि उसके भीतर पल रहे बचपन वाले शशांक की रुलाई थम ही नहीं रही थी। कर्मकांड उसके हाथों ही होना था। छुट्टी बढ़ने में बड़ी अड़चनें थीं। शशांक ने अपना निर्णय सुना दिया था कि वह कर्मकांड के लिए यहीं रुकेगा! नौकरी रहे या जाए!!</p><p> जिस दिन कर्मकाण्ड संपन्न होने पर सभी रिश्तेदार अपने अपने घर लौटे उसी शाम को देश के प्रधान मंत्री जी ने कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉक डाउन की घोषणा कर दी।</p><p> एक सप्ताह भर से शशांक अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकला। जिस घर को उसने बड़े चाव से केवल वीडियो में देखा उसमें वह ऐसे प्रसंग पर प्रवेश करेगा इस बात की उसने कभी कल्पना तक ना की थी ? घर में वह तथा उसकी मम्मी दोनों ही थे। दोनों अपने अपने कमरों में बंद सदमे से उबरने का प्रयास कर रहे थे। मम्मी का गाना व गुनगुनाना थम गया था। दोनों को अपना घर व जीवन निष्प्राण देह की जैसे प्रतीत हो रहे थे जहाँ सब कुछ होते हुए भी कुछ शेष नहीं बचा था। घर के नौकर नौकरानी सब को छुट्टी दे दी थी। मम्मी जो कुछ बना कर सामने रख देती वह अनमने भाव से खा लेता। इस सप्ताह भर के एकांतवास में वह केवल पप्पा का स्मरण करके जी भर रोते रहा। उसे काफी हल्कापन लग रहा था पर अभी कमरे के बाहर निकल कर बाहर निकलने का जी नहीं कर रहा था। चारों ओर सुई पटक सन्नाटा छाया था। शशांक को लग रहा था जैसे सारी सृष्टि उसके पप्पा के जाने से शोक ग्रस्त है।</p><p> सुबह मम्मी उसके कमरे की साफ सफाई करती दिखाई दी तब उसे पता चला कि सारे नौकर चाकर छुट्टी पर भेज दिए गए हैं। इसी बहाने आज उसकी मम्मी से बातचीत हुई। मम्मी ने कहा "अब तो अमेरिका की तरह यहाँ भी सारा काम हमें स्वयं ही करना होगा। इतने दिनों से घर के बगीचे में पानी भी नहीं दिया। मैं पानी दे कर आती हूँ।" तभी सहसा शशांक को मम्मी के गठिया का स्मरण हो आया तो उसने मम्मी को ऐसा करने से रोका व बगीचे में आ गया।</p><p> पप्पा को बागवानी का बड़ा शौक था। जब से इस बंगले में रहने आए वही इसकी देखभाल करते। मम्मी ने घर के भीतर पौधे लगाने की मनाई कर रखी थी। उनका मानना था कि पौधों में मच्छर पनपते हैं। बगीचे में भी वे नियमित रूप से दवा का छिड़काव करवाती। </p><p> अप्रैल की चिलचिलाती धूप में अपने पिता के प्यारे बगीचे को पिछले अनेक दिनों से प्यास से तड़पते देखा तो उसमें अपराध भाव सा जगा। अधिकांश पौधों के पत्ते मुरझा चुके थे। गुड़हल के पत्तियों का आकर बहुत घट चुका था पर अब भी उसमें छोटे सही पर कुछ पुष्प उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे। उसे सहसा पप्पा के मुखमंडल का स्मरण हो आया! उन्हें भी तो उसने हर परिस्थिति में मुस्कुराते देखा था। उसे वे फूल उसके पप्पा के तकिया कलाम ' हर समस्या अपना समाधान भी अपने साथ ही लाती है बस तुम्हारे पास उसे देख पाने की दृष्टि होनी चाहिए।' स्मरण कराते प्रतीत हुए। उसे लगा जैसे प्रकृति की अबोली भाषा में उसके पप्पा ही उससे संवाद साध रहे हैं। उसने प्रकृति की उस अद्भुत भाषा को मन ही मन प्रणाम किया। तभी उसकी दृष्टि कोने में पानी के नलके से जुड़े सहेजकर रखे पानी के पाईप पर पड़ी। उसे लग रहा था जैसे वह केवल उन पौधों की जड़ों को ही नहीं बल्कि अपने संतप्त अंतर्मन को भी इस शीतल जल से सींच रहा है। वह हर पौधे से मन ही मन क्षमा याचना कर रहा था जिसका उत्तर उसे उनकी मनमोहक मुस्कुराहट से मिल रहा था। सारे बगीचे को सींचने में घंटा भर लगा। इस बीच उसके अंतरंग का काया पलट हो गया। जब उसने अपनी मम्मी के मुरझाई आंखों में उसे देखकर सहसा बढ़ी चमक को देखा तो मुस्कुराए बिना ना रह सका जिसका उत्तर भी उसे मोहक मुस्कान से मिला। इस शांत शब्द हीन भाषा में सधे संवाद के सामने उसे सारा शब्द ज्ञान तुच्छ लग रहा था। रात को उसने पहली बार अपने ई मेल चेक किए तो पाया कि उसे जल्द से घर से ही काम की बागडोर संभालने के निर्देश कार्यालय से प्राप्त हुए हैं। रात भर अपने कार्यालय का कार्य करके तड़के जब उसके कानों से मम्मी के रियाज़ करने का सुरीला स्वर टकराया तो प्रसन्नता से उसका अंग अंग रोमांचित हो उठा! वह कमरे का द्वार खोल कर बगीचे की ओर के बारजे में आया तो ठंडी-ठंडी बयार उसके सर के बालों को वैसे ही सहलाने लगी जैसे उसपर अति प्रसन्न होने पर पप्पा सहलाया करते तथा कहते "शाब्बास!!"</p><p>*****************************</p><p><b><img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijBvnPP0QOGW2mmrcvChWhDFIoMgjRyYHQJBbzuj0D_ZnhQs_92uFxSxWxRxnCb2-A9_gfcUz1w6T4hSz5eutbEnNdwmMiyAEGoPB-HaoYfAFQTWtzN0nmZBnogTaIc7N6_EFwivbhwZIW/s726/Shyam+Ji.jpg" />
</b></p><p><b>~~ श्याम सुन्दर शर्मा</b></p><p> </p></div>@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-78097372501130454512020-05-19T07:56:00.000-07:002020-05-19T07:58:01.382-07:00माँ की सीख<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjShEpVuIuT_rEk7cyjlNX7y4yGK_2OQPae2jnTrHWDIZhToH5v2vGUmSWRjktWapP6hZeGRWZe5MV57_VF746eNRWIEZlfx-hDSwJWC5lDNprvhPcbLNQHY-21_LSRQ9oj1QKGSaawJPJG/s1600/Maa+ki+sikh.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="300" data-original-width="512" height="186" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjShEpVuIuT_rEk7cyjlNX7y4yGK_2OQPae2jnTrHWDIZhToH5v2vGUmSWRjktWapP6hZeGRWZe5MV57_VF746eNRWIEZlfx-hDSwJWC5lDNprvhPcbLNQHY-21_LSRQ9oj1QKGSaawJPJG/s320/Maa+ki+sikh.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>माँ की सीख</b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>माँ बाँटती बेटी को,जो उसके अनुभव का हिस्सा हुआ, </i></b><br />
<b><i>नजरंदाज बेटी ना करे,मानकर कि रोजाना का किस्सा हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>बहु बनकर बेटियों को,संभालना होता है एक दिन घर, </i></b><br />
<b><i>उसे सीखना जरूरी है,अच्छा नही लगता घर बिखरा हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>माँ की सीख के मोती को, बेटी ने जितनी शिद्दत से बटोरा, </i></b><br />
<b><i>गमों से होकर महफूज, उसके घर खुशियों का फेरा हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>बेटियों का हुनर और जायका, बेहतरीन होता जाता है, </i></b><br />
<b><i>वो माँ के तजुर्बी हाथों से, जितना होता है तराशा हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>बाधाओं के काँटों के मध्य, होता सहिष्णुता के फूल खिलाना, </i></b><br />
<b><i>रास नही आता परिवार में, चेहरा गुस्से में तमतमाया हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>महज चिंतन को बुनने से, ख्वाब साकार नही हुआ करते ,</i></b><br />
<b><i>पुरा होगा स्वप्न बेटी का, जो अध्ययन से तुफान लाया हुआ | </i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>माँ की सौच को मान पिछड़ेपन निशानी, ना कर मनमानी, </i></b><br />
<b><i>तुम्हे ना सुनना पड़े ताना, कुछ भी नही इसे सिखाया हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>नर्सरी के नवांकुर पादप से, होते है हर बेटी के हालात,</i></b><br />
<b><i>शोभित नही करती उस जमीं कों,जहाँ इसे लगाया हुआ |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>सामंजस्यता की खाद और विनम्रता की सिंचाई जरूरी है, </i></b><br />
<b><i>तभी मुर्झाने से पहले बेटी का, वातावरण में ढलना हुआ |</i></b><br />
<b><i>*********************************************</i></b><br />
<b><img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYM9nnL_4hA7pLrjdQbMU8ikuwcR-2xOVS9ifVT-G7OP0oT1R9qYSIqS5XERxQHdX0GnyWJiWt8vU-9b6pOLHz9IvuYrx9xV1jU1aNUTfaRV3Icqxwx2CTsPsyvOjkr703QOaF3AlsIJ2H/s1600/Semaa+Lohia..jpg" /><br />
</b><b> सीमा लोहिया </b><br />
<b> झुंझूनू (राजस्थान) </b><br />
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<br /></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-79499731367940340162020-05-17T02:38:00.001-07:002020-05-17T02:39:31.827-07:00वही तो असली प्रकृति<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVzdhtM27tt23SQofaZrqzrDTUzP-1UCnQNXlko8yGZ4ImDW7QGP2PnS24Q2f3jelF2hnRT4J2qxg9SVEJ2ch-PQZ-ffGflZMlLVCQSKTDfSHr2MZYg5oQk8blEO_2VzxVnbRhsdz1rsF8/s1600/LoveNature.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="320" data-original-width="480" height="212" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVzdhtM27tt23SQofaZrqzrDTUzP-1UCnQNXlko8yGZ4ImDW7QGP2PnS24Q2f3jelF2hnRT4J2qxg9SVEJ2ch-PQZ-ffGflZMlLVCQSKTDfSHr2MZYg5oQk8blEO_2VzxVnbRhsdz1rsF8/s320/LoveNature.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>वही तो असली प्रकृति</b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>जहाँ जाने के बाद वापस आने का मन ना करे</i></b><br />
<b><i>जितना भी घूम लो वहाँ पर कभी मन ना भरे</i></b><br />
<b><i>हरियाली, व स्वच्छ हवा भरमार रहती है जहाँ</i></b><br />
<b><i>सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है ।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>जहाँ पर चलती गाड़ियों की शोर नही गूंजती</i></b><br />
<b><i>जिस जगह की हवा कभी प्रदूषित नही रहती</i></b><br />
<b><i>सारे जानवरों की आवाजें सदा गूंजती है जहाँ</i></b><br />
<b><i>सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है ।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>जहाँ नदियों व झड़नों का पानी पिया जाता है</i></b><br />
<b><i>जहाँ जानवरों के बच्चों के साथ खेला जाता है</i></b><br />
<b><i>बिना डर के जानवर विचरण करते हैं जहाँ</i></b><br />
<b><i>सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है ।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>पहाड़ जहाँ सदा शोभा बढ़ाते हैं धरती की</i></b><br />
<b><i>नदियाँ जहाँ सदा शीतल करती हैं मिट्टी को</i></b><br />
<b><i>वातावरण अपने आप में संतुलित रहता है जहाँ</i></b><br />
<b><i>सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है ।</i></b><br />
*************************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNubJaCfjMGdUBRG4_6izg3l07cZmeT72I9ORZ9bA_cG34Z3lHore1kO60ElQV3YjzE2vI5iWw8n78cuTQ3d4sPHevpI3HsKc_408OUvODdk6koC7hZuooEwQrpdjT15G7z5Doql4YS8Yu/s1600/Kavi+Sauraav+.jpg" /><br />
<b>सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)</b><br />
<b> मुजफ्फरपुर, बिहार</b></div>
</div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-46272375144656451892020-05-04T07:32:00.001-07:002020-05-04T07:32:56.957-07:00समाज नारी सशक्तिकरण<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizosdB0aW7gP7Xt4sZBb-g8L4VW-TkDBGApAl5hXiADUa4bFJSawvJV9eleLbdxH2UlZUv9opSiOv-tlf6oufDuA6JBJ1Rvh0MfBiq_xqNp-kO4m3ufSbL_9mzcDLhpZGkabBN-jlQq2Qh/s1600/nari+shashaktikaran.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="794" data-original-width="620" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizosdB0aW7gP7Xt4sZBb-g8L4VW-TkDBGApAl5hXiADUa4bFJSawvJV9eleLbdxH2UlZUv9opSiOv-tlf6oufDuA6JBJ1Rvh0MfBiq_xqNp-kO4m3ufSbL_9mzcDLhpZGkabBN-jlQq2Qh/s320/nari+shashaktikaran.jpg" width="249" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>समाज नारी सशक्तिकरण</b></td></tr>
</tbody></table>
अगर आप छोटी बच्ची हो तब रंगीन झरने सी चंचल रहो..<br />
अगर आप लड़की हो तो तेज दिमाग रखो..<br />
अगर आप स्त्री हो तब आत्मविश्वास सभर एक अदा ओर छटा रखो..<br />
ओर जब आप उम्रदराज़ महिला हो तब अपने वजूद में एक उत्कृष्ट अंदाज़ रखो..!<br />
नारी जीवन का हर पड़ाव गरिमामय ओर खुमारी से भरपूर होना चाहिए, स्त्री विमर्श में उठती हर कलम को अब तोड़ना है, जब हम बोल रहे है कि हम 21 वी सदी की नारी है तब हमारे हर अंदाज़ हर पहलू से परिवर्तन छलकना चाहिए अबला, बेचारी, लाचार जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वालों को मुँह तोड़ जवाब देना है, हर क्षेत्र में परचम लहराना है।<br />
<br />
अपने आस-पास उपेक्षित ओर अनमनी हर लड़की हर स्त्री को कह दो अपना हक छीनना होगा, आज भी समाज में सम्मान को तरसती कुछ स्त्रियाँ है हर लेवल पर गरीब से लेकर उच्च मध्यम परिवार में ओर हाई सोसायटी तक कहीं ना कहीं लड़कीयाँ ओर स्त्रियाँ किसी ना किसी के हाथों प्रताड़ित होती ही रहती है पर अब सीमा लाँघ दो।<br />
हर अदा फ़बती है तुम पर कह दो ज़माने से मेरे कुछ अंदाज साफ़ परिणाम है तुम्हारी तीखी प्रतिक्रिया के, अगर आपको मेरा अंदाज़ पसंद नहीं तो आग लगा दो खुद की सोच को क्यूँकि मेरा अंदाज़ मेरे तेज़ दिमाग ओर ज्ञान की पहचान है।<br />
<br />
लड़की ओर औरत की सुंदरता फ़ेशियल की मोहताज नहीं पारदर्शी रूह ओर बुद्धिमत्ता उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देती है, काबिल ओर सक्षम है आज की नारी अपने पैरों पर खड़ी होकर हर मोर्चे पर एक धुँआधार योद्धा साबित होने का दम रखती है, वो पल कलात्मक होते है जब एक कामयाब औरत बिना किसी दिखावे के अपनी कामयाबी पर इतराती आगे बढ़ रही होती है।<br />
<br />
ए लड़की तुझे क्या कहूँ तू वो पौधा है जिस आँगन बोई जाए उस घर में पले वनराई ओर हरियाली, तू सूरज है सबको देना बंद कर कोई तुम्हारी तरक्की की रोशनी को सहारा देने नहीं आएगा, तुझे अपना रास्ता खुद तराशना है अपनी ऊँचाई के मायने तय करो महान लक्ष्य पर ध्यान दो अपनी काबिलियत पर भरोसा रखो ओर आगे बढ़ो।<br />
तराशे हुए हीरे की कमनीय धार सी ओर मोती की चमकती परत सी स्त्री बनों, हर मर्द की वो दुआ बन जाओ जब सिक्का उछालते समय वो आसमान की तरफ़ देखकर मांगता है।<br />
<br />
अब वक्त आ गया है आँखों में बसे सपनो को उड़ान देने का, सिर्फ़ बोलने भर के लिए जो उपमा दी जाती है बेटीयों को काली, चंडी, दुर्गा की अब वो उर्जा खुद के अंदर प्रकट करनेका वक्त आ गया है।<br />
हर लड़की सुरक्षित रहे हर स्त्री को उसका हक मिले तभी समाज नारी सशक्तिकरण का पक्षधर कहलाएगा।<br />
********************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b> भावना ठाकर बेंगलोर</b></div>
</div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-1944325553252892922020-04-19T07:57:00.003-07:002020-04-19T07:58:49.821-07:00कोरोना वाइरस ना कयाम होने दो यारों<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3e76_rBYZqr8phFzlX4l8Bdo9Cfm8_NkV9StRHpiy-vN9NVRZO3MYhcOAT0jDypY5QKvwS2KA9aTH8p0Gw_OzHB3iiaAC9AmcbHUBxZ3sEOgwoM2XZ3iiu1TE3lXRTOXAwG6vT1C8BRRL/s1600/arogya+setu.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="608" data-original-width="684" height="284" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg3e76_rBYZqr8phFzlX4l8Bdo9Cfm8_NkV9StRHpiy-vN9NVRZO3MYhcOAT0jDypY5QKvwS2KA9aTH8p0Gw_OzHB3iiaAC9AmcbHUBxZ3sEOgwoM2XZ3iiu1TE3lXRTOXAwG6vT1C8BRRL/s320/arogya+setu.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">कोरोना वाइरस ना कयाम होने दो यारों</span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>1.अपनी सावधानी और सजगता से ,</i></b><br />
<b><i>कोरोना वाइरस ना कयाम होने दो यारों |</i></b><br />
<b><i>घर से बाहर समूह संगठनों में ,</i></b><br />
<b><i>अब अपने विराम होने दो यारों|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>2.कोरोना के डर से विदेशों में भी,</i></b><br />
<b><i>अपना रहे है अब अपनी संस्कृति |</i></b><br />
<b><i>विश्व गुरूत्व धारित देश के, </i></b><br />
<b><i>लबों पर इब्तिसाम होने दो यारो|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>3.हम यम ,नियम,योग करूणा, </i></b><br />
<b><i>शाकाहार को अपनाने वाले है|</i></b><br />
<b><i>कोरोना के डर से ही सही,</i></b><br />
<b><i>विदेशों में अब दुआ सलाम होने दो यारो|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>4.भारत के देवालयों में हर रोज,</i></b><br />
<b><i>भक्त चरणामृत में तुलसी का पान करते है|</i></b><br />
<b><i>इस तुलसी की उपयोगिता को,</i></b><br />
<b><i>विदेशों में भी अब सरेआम होने दो यारो |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>5.भारत के मंदिर और घरों में, </i></b><br />
<b><i>कपूर, धुप ,लोंग, इलायची से पूजन होता है|</i></b><br />
<b><i>मेरे देश की ऐसी संस्कृति का,</i></b><br />
<b><i>विदेशों में प्रसारित हो गुलफाम होने दो यारों|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>6. कोरोना लक्षण के उभरते ही </i></b><br />
<b><i>समय से ही उसकी जाँच करवाओ|</i></b><br />
<b><i>घोषित वैश्विकरण महामारी को ,</i></b><br />
<b><i>फैलने से पहले नाकाम होने दो यारो|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>7. सरकारी निर्देशों की पालना में,</i></b><br />
<b><i>कभी कोई कोताही ना की जाये,</i></b><br />
<b><i>सीमा से अधिक फैलीे दहशत से </i></b><br />
<b><i>देश में ना कोहराम होने दो यारों</i></b><br />
<b>********************************************</b><br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ2EHnzCItKtK0bw8Y9T3PmD9jD4Vg36altbBCe0OM94mZlY-2kDUbjmB3NgTTyLDgLPUsr-_kebeYxkhRqpMcyqCPCUDHo6dj7Fv8iShoSqnLaW7l5EebkcWZ68qFNge7Ouv7fRJqIXmk/s1600/Seemalohiaa.jpg" /><br />
<b> सीमा लोहिया</b><br />
<b> झुंझूनू (राजस्थान)</b></div>
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</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-17943957236961768622020-03-30T03:35:00.001-07:002020-03-30T03:51:54.099-07:00भारत लोकडाउन <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRLSZW0wtMx-y7uxnO6X2U1UZy2dPm3LbTa54YrUYEWM-rJj6Ga8sX68qmtSvduu6CjW1U1yWPWZz9-uSPZX-BpzjTedoy-9m0gbXwujBC0Uxw17mO41oKUKD0JNT4YKI887aPW_X_Xf3x/s1600/lockdown1.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="480" data-original-width="720" height="213" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiRLSZW0wtMx-y7uxnO6X2U1UZy2dPm3LbTa54YrUYEWM-rJj6Ga8sX68qmtSvduu6CjW1U1yWPWZz9-uSPZX-BpzjTedoy-9m0gbXwujBC0Uxw17mO41oKUKD0JNT4YKI887aPW_X_Xf3x/s320/lockdown1.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="font-size: 12.8px;">भारत लोकडाउन </span></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>कोरोना वाइरस बड़ा घातक है सुन लो मेरी बात, </i></b><br />
<b><i>कुछ दिनों के लिए टाल दो तुम अपनी मुलाक़ात |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>राजस्थान और भारत सरकार ने किया लोक डाउन, </i></b><br />
<b><i>तुम्हारी सजगता से जल्द बीत जायेगी हर काली रात |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने का तुम्हे ये सुअवसर मिला है,</i></b><br />
<b><i>घर से बाहर क्यों निकलो अदृश्य शत्रु लगाये बैठा घात|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>जनसम्पर्क पर कस लो तुम कुछ दिन के लिए लगाम, </i></b><br />
<b><i>लाजमी हो तो एक मीटर के दायरे से व्यक्त करो जज्बात |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>अगर लक्ष्मण रेखा लांघने की ना करोंगे तुम मनमानी ,</i></b><br />
<b><i>तब ही कर पाओगे अनाहुत दुश्मन पर करारा प्रतिघात |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>अदृश्य शत्रु का घर में ही छुपकर निष्फल करो हर वार, </i></b><br />
<b><i>वरना तुम्हे अगुवा करके होंगे हमले मानव -गात से गात|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>बेहतर होगा मानव कौम का समझाने से समझ जाओं ,</i></b><br />
<b><i>वरना तो सहने होंगे पुलिस प्रशासन के डंडे और लात|</i></b><br />
****************************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ2EHnzCItKtK0bw8Y9T3PmD9jD4Vg36altbBCe0OM94mZlY-2kDUbjmB3NgTTyLDgLPUsr-_kebeYxkhRqpMcyqCPCUDHo6dj7Fv8iShoSqnLaW7l5EebkcWZ68qFNge7Ouv7fRJqIXmk/s1600/Seemalohiaa.jpg" /><br />
<b> रचना -सीमा लोहिया</b><br />
<b> झुंझूनू (राजस्थान) </b></div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-90777375559895658212020-03-10T10:06:00.001-07:002020-03-10T10:16:02.594-07:00Talk on period<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJGCVnRUFO5IEyxpM8maoxKCX7blf-LIEwHCj_cefJsJyUmd3ypC2FvSSGHaZ_Z0AySL0xVsRelnxZ701iFZU6pJnV4Pmlljax-2dalZm90kvTEUNraBnUUDT1O7ixxfXZX_P4sDpRvEHi/s1600/talk+on+periods.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="960" data-original-width="960" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJGCVnRUFO5IEyxpM8maoxKCX7blf-LIEwHCj_cefJsJyUmd3ypC2FvSSGHaZ_Z0AySL0xVsRelnxZ701iFZU6pJnV4Pmlljax-2dalZm90kvTEUNraBnUUDT1O7ixxfXZX_P4sDpRvEHi/s320/talk+on+periods.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>Talk on period</b></td></tr>
</tbody></table>
<br />
सब नॉर्मल चलता रहता है। अचानक लगता है कि चार-पांच किलो वजन बढ़ गया है ,पूरा शरीर एकदम से फूलने लगता है।भूख नहीं लगती पर अचानक भयानक कुछ भी खाने का मन करने लगता है खासकर फास्टफूड टाईप पेट भर जाता है पर मन नहीं भरता।<br />
<br />
मुड स्विंग होते रहते है इतनी चिड़चिड़ाहट होती है कि किसी को भी बेवजह चिल्लाने लगते हैं।मन करता है जी भर कर लड़ लो किसी से। कई बार तो बेमतलब ही रोने लगते हैं।पूरी हड्डियों में इतना दर्द होता है कि लगता है कोई रोलर ही चला कर चला जाये..इतनी बेचैनी कि समझ ही नहीं आता कि गर्मी लग रही है या सर्दी.3-4दिनों तक नींद का अता पता नहीं होता।कभी पिम्पल निकल जाते है तो कभी लगता है कि स्किन में रैशेस हो रहे ...<br />
<br />
फिर अचानक ध्यान जाता है कैलेंडर की तरफ ..ओह्ह तो ये दिन शुरू होने वाले है...फिर शुरू होता है दो से तीन दिन का कमर , पेट दर्द ..कमर से नीचे तो लगता है कि जान ही नहीं है और ब्लीडिंग का झंझट। ये समय ही ऐसा होता है कि हर लड़की कोसती है.. भगवान लड़की क्यों बनाया.अगले जन्म में लड़का ही बनाना। पांचवें दिन के बाद लड़की जैसे फिर से नयी हो जाती है।पर पिछले 24-25 दिनों में जो बॉडी रिकवर हुई होती है.. फिर से कमजोर हो जाती है।<br />
<br />
फिर भी पाँचवे दिन के बाद लगता है सबकुछ बेहतर है ..अच्छा है..सब खूबसूरत है.....<br />
<br />
पीरियड्स का ये फायदा है कि खराब चीजें बॉडी से बाहर चले जाती है और बॉडी नये सेल्स बनाने को फिर से तैयार हो जाती है... एक तरह से हर 28 दिन में लड़कियों की बॉडी कुछ नयी हो जाती है।<br />
<br />
पर 25 दिन बाद फिर यही ...हार्मोन चेंजेस..मूड स्विंग..दर्द.. तड़प.. और फिर से सबकुछ नया।फिर भी वो पूरी कोशिश करती है इस पांच दिन को भी अपने 25 दिन की तरह ही प्रोडक्टिव बनाने की।क्योंकि लोगों के हिसाब से पीरियड्स बीमारी तो नहीं है जो ऑफिस से छुट्टी ली जाय या घर के काम छोड़ दिये जाय।<br />
<br />
कहीं जाना होता है,कोई पूजा होती है या कुछ नया प्लान होता है लड़कियां पहले अपना डेट चेक करती हैं ..क्योंकि उसे पता है कि इस वक्त वो चाहकर भी फिजिकली और मेंटली नॉर्मल नहीं रह सकती।<br />
<br />
एक नये जीवन का सृजन करने के लिये हर 28 दिन में लड़कियां ये सब झेलती है ..जब अपना शरीर ही भारी लगने लगता है..लड़की होना अभिशाप लगने लगता है... पर यही सब तो उसे उन 9 महीने के लिये तैयार करता है ..उस दिन उसे ये सारे दर्द सारी तकलीफ बेमानी लगती है...जिस दिन उसका फिर से जन्म होता है..एक माँ के रूप में।<br />
<br />
सेनेटरी पैड की बहस और 5 दिन की झंझट से कहीं इतर है ये पीरियड..एक लड़की की सम्पूर्णता बसी है इसमें।<br />
<br />
नहीं कुछ भी नहीं चाहिए.. ना लाइक ..ना कमेंट... बस इस वक्त में उसे थोड़ा सा केयर और आराम की जरूरत होती है इसका थोड़ा ख्याल रखियेगा,अगली बार कोई लड़की आपके सामने मेडिकल में पैड लेने जाएं तो मुंह दबाकर मत हँसियेगा। उसके जाने के बाद उसे देखकर कमेंन्ट मत करियेगा.क्योंकि यदि आपकी माँ को पीरियड्स नहीं आते तो आप पैदा ही नहीं होते...<br />
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<b> नेहा नन्दिता मिश्रा</b><br />
<b>रायपुर -छत्तीसगढ़ </b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-25260911573604177902020-03-08T23:55:00.000-07:002020-03-11T09:45:17.031-07:00ऋदि सिद्धि है नारी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGkQyOl6d6taXhej4LEvNvi5LkD1_jNO-yDGlCNpuiWIkim2n_K1jD5Uu1dmKpeloFoZdykEWQnfXXTGVTC0MIqZ4DFZlwq9wFvLZsUQJiE7Qf0swioeno7LdBClfTInjRsmT-uWyvA9IW/s1600/Riddhi+Siddhi+nari.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="832" data-original-width="760" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgGkQyOl6d6taXhej4LEvNvi5LkD1_jNO-yDGlCNpuiWIkim2n_K1jD5Uu1dmKpeloFoZdykEWQnfXXTGVTC0MIqZ4DFZlwq9wFvLZsUQJiE7Qf0swioeno7LdBClfTInjRsmT-uWyvA9IW/s320/Riddhi+Siddhi+nari.jpeg" width="292" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="font-size: small;">ऋदि - सिद्धि है नारी</b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>दुर्गा, काली ,चामुण्डा,लक्ष्मी,चण्डी,</i></b><br />
<b><i> सरस्वती, ऋदि - सिद्धि है नारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>तु स्वयं में समाती उन हर रूपों को, </i></b><br />
<b><i>जितने सुने है देवी के रूप अवतारी !</i></b><br />
<br />
<b><i>नर के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में पकड़ बना, </i></b><br />
<b><i>मनोबल से वो अपने कभी नही हारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>वो घर कितना सौभाग्यशाली होता है,</i></b><br />
<b><i>जहाँ गुँजी तेरे बाल रूप की किलकारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <br />
<div style="text-align: right;">
</div>
<b><i>माँ,पत्नी, पुत्री, बहन हो या अन्य रिश्ता, </i></b><br />
<b><i>तुमने हर रूप में नर की जिदंगी संवारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>तु सहनशीलता में मिसाल है पृथ्वी सी,</i></b><br />
<b><i>गौतम की अहिल्या या जनक दुलारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>तुझ से ईश्वर को अर्द्धनारीश्वर कहा गया,</i></b><br />
<b><i>तुझ बिन सृष्टि अकल्पनीय और अधुरी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>निष्ठा में अनुसुया,तारा,राधा,सावित्री है, </i></b><br />
<b><i>लौटा लाई यमलोक से मौत तुझसे हारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>राधेकृष्ण, सीताराम, उमापति नाम में समझो, </i></b><br />
<b><i>देव से पहले देवी के उच्चारण की दुनियादारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>तु ममता, वात्सल्य जैसे गुणों की है यशोदा, </i></b><br />
<b><i>लुटाकर प्यार अपना बलैया और नजर उतारी !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>सीमा लांघने पर छिना तुझसे जीवन का हक, </i></b><br />
<b><i>महिषासुर मर्द्धनी बन तुम्हे मौत के घाट उतारी !</i></b><br />
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<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ2EHnzCItKtK0bw8Y9T3PmD9jD4Vg36altbBCe0OM94mZlY-2kDUbjmB3NgTTyLDgLPUsr-_kebeYxkhRqpMcyqCPCUDHo6dj7Fv8iShoSqnLaW7l5EebkcWZ68qFNge7Ouv7fRJqIXmk/s1600/Seemalohiaa.jpg" /><br />
<b>स्वरचित मौलिक रचना -सीमा लोहिया </b><br />
<b>झुंझूनू (राजस्थान)</b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-21158675858980127622020-03-01T01:33:00.000-08:002020-03-01T01:33:20.946-08:00देहविक्रय एक कलंक<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcIYOkrFUgsVxfspKdZ2Q7YS7jpsClT6uZ8pqbkGZTiqZ2TE7SebnI_XOquxDeo6x62mAvaexbzrUH724sfC1jfYw8_1U9-sTnTNyepuFwZoe3DR1egEQW39CfD3nuE879rWCdK7SuXAZp/s1600/sexworkers.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="350" data-original-width="500" height="280" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcIYOkrFUgsVxfspKdZ2Q7YS7jpsClT6uZ8pqbkGZTiqZ2TE7SebnI_XOquxDeo6x62mAvaexbzrUH724sfC1jfYw8_1U9-sTnTNyepuFwZoe3DR1egEQW39CfD3nuE879rWCdK7SuXAZp/s400/sexworkers.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>देहविक्रय एक कलंक</b></td></tr>
</tbody></table>
आज एक विषय पर बहुत चिंतन किया समाज का सबसे बड़ा कलंक है लड़कीयों ओर स्त्रियों का देह विक्रय उस अंधेरे जीवन के बारे में सोचते ही कलेजा मुँह को आ जाता हे। देश के सारे अहं मुद्दों के बीच एक अनछुआ मुद्दा है वेश्यावृत्ति, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के स्लोगन लिख तो लेते है हम पर उस दिशा में ठोस कदम कितने उठाए जाते है।<br />
<br />
जीवन में हर समस्या के दो समाधान होते है अच्छी राह चुनना ओर दलदल में धसना, स्त्रीयाँ या लड़कीयाँ देह विक्रय का रास्ता खुद चुनती है, या धकेल दिया जाता है ? ये सोचनिय मुद्दा है आख़िर क्यूँ हर बड़े शहर में ये धंधा दीमक की तरह फैल रहा है।<br />
<br />
देश का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया कोलकाता का सोनागाची इलाका है, दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाटीपुरा, फिर दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा, पुणे का बुधवर पेट हैं इन स्थानों पर लाखों लड़कियां हर रोज बिस्तर पर परोसी जाती हैं।<br />
<br />
वेश्यावृत्ति को अपनाने के मूलभूत कारण कुछ इस प्रकार माने जाते हैं जिन कारण से ये स्त्रियां वेश्यावृत्ति का रास्त चुन लेती हैं उसमें सबसे बड़ा आर्थिक कारण होता है, अनेक स्त्रियां अपनी एवं आश्रितों की भूख की ज्वाला शांत करने के लिए विवश होकर इस वृत्ति को अपनाती हैं। जीविकोपार्जन के अन्य साधनों के अभाव तथा अन्य कार्यों के अत्यंत श्रम साध्य एवं अल्प वैतनिक होने के कारण वेश्यावृत्ति की ओर आकर्षित होती है।<br />
<br />
या बहुत बार हम सुनते है की परिवार के ही किसी सदस्य ने बेच दिया हो या तो एसी मजबूरी आन पड़ी हो की इस गंदगी भरे रास्ते को चुनने के सिवाय कोई चारा ही ना हो एसी स्थिति में चलो मान लेते है की इस काम को अपना लिया हो, पर क्या ओर को राह नहीं होती ? ओर कोई काम नहीं होते जो सीधे कदम कोठे की दहलीज़ पर रुक जाते है।<br />
<br />
इस व्यवसाय में हिंसा भी चरम पर होती है दलालों द्वारा या एसे कोठे को चलाने वाली मुखिया के द्वारा पीटा जाता है, दमन किया जाता है ओर मानसिक रुप से अपाहिज लड़कीयाँ डर के मारे विद्रोह नहीं करती ओर अपना लेती है नर्कागार को।<br />
<br />
पर समाज में काम की कोई कमी नहीं आप अपने हुनर ओर हैसियत के मुताबिक जो काम करना चाहो थोड़ी मसक्कत के बाद मिल ही जाएगा तो क्यूँ कोई जानबूझकर उस गंदगी को अपनाता है ये सवाल है।<br />
इस पेशे में अच्छे घर की लड़कीयों को जाते हुए देखा है महज शानो शौकत की ज़िंदगी जीने के ख़्वाब पूरे करने के लिए शायद पैसा कमाने का ये बहुत ही आसान ज़रिया होता है, काल गर्ल को सुना है एक रात के हज़ारों रुपयों में तोलने वालों की कमी नहीं।<br />
<br />
माना की पैसा सबकुछ है पर गुज़र बसर करने के लिए इंसान को चाहिए कितने ? ये आजीविका नहीं शौक़ पालने के फ़ितूर हुए।<br />
<br />
तो दूसरी ओर देखा जाए तो गरीबी और निराशा, वेश्यावृत्ति को और भी हवा देती है। लड़कीयों के शोषण और वेश्यावृत्ति का “सीधा-सीधा संबंध, टूटते परिवारों, भुखमरी और निराशा भी हो सकता है उनको लगता है की ज़िंदा रहने के लिए उनके पास वेश्यावृत्ति के अलावा कोई चारा नहीं।<br />
<br />
क्यूँ सरकार, कोई संस्था, या आम इंसान इस विकट समस्या के बारे में नहीं सोचता देश के हर छोटे बड़े मुद्दों पर इन सबकी बाज नज़र होती है पर ये मुद्दा तो ज्वलन्त है कोई तो आगे आए इसका समाधान ढूँढने, कितनी मासूम इस नर्कागार में झुलस रही होगी, कोई पाक साफ़ दुपट्टा उनके लिए भी बना है क्या ? जो इनके जलते बदन के ज़ख्मो पर नमी की परत बिछाए।<br />
<br />
वैसे इस आग को बुझाना नामुमकिन है इतनी बड़ी आबादी को चपेट में ले रखा है की कोई शुरु करें तो कहाँ से शुरू करें फिर भी एक कोशिश तो होनी चाहिए, मेरे खयाल से इस पेशे में लगीं महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण देना चाहिए, और उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाने चाहिए तो शायद जो मजबूरी में इस दलदल में फंसी हो उसे इज्जत भरी ज़िंदगी जीने का मौका मिलें।<br />
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<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b> भावना जीतेन ठाकर</b><br />
<b> चूडासान्द्रा, सरजापुर</b><br />
<b> बेंगलुरु - कर्नाटक </b><br />
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<br /></div>
</div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-63862975111980085002020-03-01T00:49:00.000-08:002020-03-01T00:49:49.974-08:00नये जमाने की होली<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja9vveK4bJqG8OjAK3RgPNwPGPbuGq_rLqcXxke7I9pV11jbc_Y6mx5rMtbwHklVle6d5R518-Jy7prKo-5v1t4AYYNdr7pZMTnEkYWhM-Z3I9Q8BaN0K_dKafPEdqFAYwYAFZ1Ml3AJa2/s1600/holi+2020.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="364" data-original-width="512" height="281" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja9vveK4bJqG8OjAK3RgPNwPGPbuGq_rLqcXxke7I9pV11jbc_Y6mx5rMtbwHklVle6d5R518-Jy7prKo-5v1t4AYYNdr7pZMTnEkYWhM-Z3I9Q8BaN0K_dKafPEdqFAYwYAFZ1Ml3AJa2/s400/holi+2020.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b><span style="font-size: x-small;">नये जमाने की होली</span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>अब होली मनाने के पुराने तरीके भूलने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i>चहूँओर नये जमाने के नये रिवाज छाने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कहाँ गया पहले वाला स्नेह-सोहाद्र -भाईचारा ,</i></b><br />
<b><i>लगता ज्यों त्याग उसे राग नया अलापने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>पहलें सा त्यौहार का उत्साह नजर आता नही, </i></b><br />
<b><i>लगता खुशियों के अंदाज नये तलाशने लगे है!</i></b><br />
<br />
<b><i>बेजान और फीकी सी लगने लगी मुख की हँसी ,</i></b><br />
<b><i>मुखोटे से चेहरे भाव भी अब नकली सजाने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कहीं नजर नही आती है पहले वाली एकसूत्रता, </i></b><br />
<b><i>मतैक्यता अभाव में होली भी कई जलाने लगे हैं !</i></b><br />
<br />
<b><i>क्यों हो गई पत्नोन्मुखी सी पुरातन अखंड परम्परा, </i></b><br />
<b><i>अब संभालते नही बल्कि एक दूजे को गिराने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>छल,दंभ, पाखण्ड का छाया है ये कैसा बोलबाला ?</i></b><br />
<b><i>इसे आचरण में उतार क्यों व्यापार इसका बढाने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>क्यों होने लगा है ऐसा अभाव परोपकारिता का ?</i></b><br />
<b><i>स्वार्थपरायण लोलुप जन पाप क्यों कमाने लगे हैं ? </i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>येन -केन प्रकारेण सबका बस मतलब सिद्ध हो, </i></b><br />
<b><i>फिर जैसे भी हो बाधा को राह से लुढकाने लगे है !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>प्रयासरत रहते हैं सुविधाभोगिता "सीमा" पाने में, </i></b><br />
<b><i>अपनी नापसंदगी से तो पुरजोर पीछा छुटाने लगे हैं !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>************************************</i></b><br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ2EHnzCItKtK0bw8Y9T3PmD9jD4Vg36altbBCe0OM94mZlY-2kDUbjmB3NgTTyLDgLPUsr-_kebeYxkhRqpMcyqCPCUDHo6dj7Fv8iShoSqnLaW7l5EebkcWZ68qFNge7Ouv7fRJqIXmk/s1600/Seemalohiaa.jpg" /><br />
<b>स्वरचित मौलिक रचना --सीमा लोहिया </b><br />
<b>झुंझुनू (राजस्थान) </b></div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-50564319305575246812020-01-06T08:52:00.000-08:002020-01-06T09:08:33.370-08:00उसके चेहरे का गुलाबी हो जाना<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjcKabsVYh7VNp7DRE_615RRn8xUICYj5FnLyzpaGwtDwSw3KcPFcf7QVXlMFqMDV65ubeYiJeT4wgHPyBys7wzX0NVUXmhGx7TYUhozXeZilOPefaoWwY4MunBZGC4MEFGJjDJwhl01R5d/s1600/Usake+chehare+kaa.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="853" data-original-width="640" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjcKabsVYh7VNp7DRE_615RRn8xUICYj5FnLyzpaGwtDwSw3KcPFcf7QVXlMFqMDV65ubeYiJeT4wgHPyBys7wzX0NVUXmhGx7TYUhozXeZilOPefaoWwY4MunBZGC4MEFGJjDJwhl01R5d/s400/Usake+chehare+kaa.jpg" width="300" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="font-size: 12.8px; text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">उसके चेहरे का गुलाबी हो जाना</span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>कोई कहता है सात दिन और सात रात का पैकेज मतलब प्रेम??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूं चांदनी रात, एक झूला और हाथ में उसका हाथ मतलब प्रेम।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कोई कहता है पेरिस की खूबसूरत शाम मतलब प्रेम??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूँ की जब आप उसको अचानक कोई तोहफा </i></b><br />
<b><i>दो और उसकी आंखों में जो चमक आये वो प्रेम।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कोई कहता है कश्मीर के बर्फीले पहाड़ो में घूमना मतलब प्रेम??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूं चुपके से उसके बालों में गजरा लगा दो वो प्रेम।।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कोई कहता है स्टाइलिश कपड़े पहनकर अपने साथी के </i></b><br />
<b><i>साथ घूमना मतलब प्रेम ??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूँ त्योहारों के दिन दुल्हन की तरह सजी हुई अपनी </i></b><br />
<b><i>जाना को बिना पलके झुकाएं देखना वो प्रेम।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कोई कहता है उसको गुलाब का फूल देना मतलब प्रेम ??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूँ सबके सामने एक पल चुरा कर उसको कहना </i></b><br />
<b><i>"बहुत खूबसूरत लग रही हो जाना " </i></b><br />
<b><i>और ये बात सुन कर उसके चेहरे का गुलाबी हो जाना वो प्रेम।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कौन कहता है कि उसके सौदंर्य पर कविता लिखना मतलब प्रेम ??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूँ कि जब वो आपसे दूर हो तब सारी कविताओं में उसको देखना वो प्रेम।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>कौन कहता है कि लाज शर्म का परदा खोल कर एक दूसरे को जान पहचान लेना मतलब प्रेम </i></b><b><i>??</i></b><br />
<b><i>मैं कहती हूं कि सालों बाद भी कही किसी कविता में सिर्फ उसका नाम पढ़ कर शर्मा जाना वो प्रेम।</i></b><br />
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<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzjn5B_rkRQ9XT77Kf_svGAszgEnigjGHR6QNpyDnHJx_vjvgvAVkFJBpxa8yfRrSrPL-BHrQ2vo6er_Isf-td0kKUGWO8BInKxMnMnOQu43P4rJrBROGkkVy8UEkDy08oqHlVPeOE7lYn/s1600/Ami+Vyas.jpg" /><br />
<b>अमी व्यास </b><br />
<b>अहमदाबाद , इंडिया </b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-74610529503316920382019-12-14T08:04:00.000-08:002019-12-14T08:05:34.056-08:00तुलसी जी का विवाह<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwVXptCQlgxdM5TjhCcIPaOKl5c9PoaFEuXzqoQZwcUx90ZVC26FwCGk90yCLpSYP6OD2i3NgYmYSrlaKw4bnIyDad25NGS7E_FVV7UJFEEIR-7MJxTcvFZxJbFoMA43gwZBWAQGpa4Dii/s1600/Tulasi.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="427" data-original-width="604" height="282" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwVXptCQlgxdM5TjhCcIPaOKl5c9PoaFEuXzqoQZwcUx90ZVC26FwCGk90yCLpSYP6OD2i3NgYmYSrlaKw4bnIyDad25NGS7E_FVV7UJFEEIR-7MJxTcvFZxJbFoMA43gwZBWAQGpa4Dii/s400/Tulasi.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="text-align: left;"><b><span style="font-size: x-small;">तुलसी जी का विवाह</span></b></span></td></tr>
</tbody></table>
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.<br />
<br />
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.<br />
<br />
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा –<br />
<br />
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प<br />
<br />
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।<br />
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।<br />
<br />
फिर देवता बोले – भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।<br />
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे<br />
<br />
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?<br />
उन्होंने पूँछा – आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।<br />
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे<br />
<br />
सती हो गयी।<br />
उनकी राख से एक पौधा निकला तब<br />
<br />
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से<br />
<br />
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में<br />
<br />
बिना तुलसी जी के भोग<br />
<br />
स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में<br />
<br />
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !<br />
🙏🏼🙏🏼इस कथा को कम से कम दो लोगों को अवश्य सुनाए आप को पुण्य अवश्य मिलेगा।<br />
<br />
*******************<br />
<b>मंगलज्योति</b> </div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-37027487463006974552019-12-07T07:41:00.000-08:002019-12-07T07:41:29.869-08:00फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b><i>रोज काल का ग्रास बन रही आसिफा,<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvDc32QcMHW2NG2NFu3nvljYNpnISAtDAY7uAPP0dcRnYZc70WoN5supOtvHI-xZY1DzfvHPH5fCBBOC0JXI4gYpP4GFZtGK0yJbrXKodlaXcTLsFoJEUdXW4X3bQmPdcjxEK43Pvom9iF/s1600/Rape+crisis.jpeg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="435" data-original-width="700" height="247" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvDc32QcMHW2NG2NFu3nvljYNpnISAtDAY7uAPP0dcRnYZc70WoN5supOtvHI-xZY1DzfvHPH5fCBBOC0JXI4gYpP4GFZtGK0yJbrXKodlaXcTLsFoJEUdXW4X3bQmPdcjxEK43Pvom9iF/s400/Rape+crisis.jpeg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा </span></b></td></tr>
</tbody></table>
</i></b><br />
<b><i>फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा ।</i></b><br />
<b><i>देश चल रहा नफरत से ही,</i></b><br />
<b><i>फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>वंचित हैं जो अधिकार से अपने,</i></b><br />
<b><i>उनका मैं अधिकार लिखूँगा ।</i></b><br />
<b><i>दुष्टों को मारा जाता है जिससे,</i></b><br />
<b><i>अब मैं वही हथियार लिखूँगा ।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>रोज जवान मर रहे सीमा पर,</i></b><br />
<b><i>कब तक मैं उनकी बली सहूँगा ।</i></b><br />
<b><i>मर रही जनता रोज देश की,</i></b><br />
<b><i>कब तक मैं ये अत्याचार सहूँगा ।</i></b><br />
<b><i><br /></i></b><b><i>आसिफा,ट्विंकल ना जाने कौन-कौन ?</i></b><br />
<b><i>अब इनकी चित्कार लिखूँगा ।</i></b><br />
<b><i>हाँ, देश चल रहा नफरत से ही</i></b><br />
<b><i>फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।</i></b><br />
<br />
************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNubJaCfjMGdUBRG4_6izg3l07cZmeT72I9ORZ9bA_cG34Z3lHore1kO60ElQV3YjzE2vI5iWw8n78cuTQ3d4sPHevpI3HsKc_408OUvODdk6koC7hZuooEwQrpdjT15G7z5Doql4YS8Yu/s1600/Kavi+Sauraav+.jpg" /><br />
<b>सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)</b><br />
<b> मुजफ्फरपुर, बिहार</b></div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-65867278608683371912019-11-16T07:48:00.000-08:002019-11-16T07:51:23.786-08:00नव्या का बालमानस चाइल्ड सायकोलोजी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhWcjXy50ngpO0KUANeVH4h4hiUE53TuTLRD49k_rhoED7RftEBN7Nf6lSsx8VgI10WC-Dql4wGsXxpdfZiMPyWok9EdwnIvf9abg3MuZTUUx5xbi-1EE38QDZkwY3LEyJVYvtjI65DUNY/s1600/Child+Psychology.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="911" data-original-width="1366" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhhWcjXy50ngpO0KUANeVH4h4hiUE53TuTLRD49k_rhoED7RftEBN7Nf6lSsx8VgI10WC-Dql4wGsXxpdfZiMPyWok9EdwnIvf9abg3MuZTUUx5xbi-1EE38QDZkwY3LEyJVYvtjI65DUNY/s400/Child+Psychology.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>नव्या का बालमानस चाइल्ड सायकोलोजी</b></td></tr>
</tbody></table>
नव्या के जन्म के आठ साल बाद कविता ने अंश को जन्म दिया था सास-ससुर की पोते की चाह पूरी हुई, "ओर ये परिवार बेटे को खास अहमियत देने वालों में से एक था",<br />
<br />
तो घर में सब कुछ ज़्यादा ही खुश थे नव्या अब तक आठ साल से एकचक्री शासन कर रही थी सबके लाड़ प्यार की हकदार, पर अब घर के सारे सदस्यों का ध्यान नव्या से हटकर अंश की ओर ही ज़्यादा लगा रहता था।<br />
धीरे-धीरे अंश बड़ा हो रहा था सबकी आँखों का तारा पर नव्या की आँखों में शूल सा खटक रहा था, उसे अंश एक आँख भी नहीं भाता था।<br />
<br />
अंश के लिए नये खिलौने, कपड़े जब आते थे तो नव्या के मन में हलचल उठती थी घर के लोग नव्या के बालमानस से अन्जान नव्या के प्रति बेदरकार से अंश की ही परवरिश में अंधे थे।<br />
नव्या के मासूम मन में अब कुछ षडयंत्र जन्म ले रहे थे घरवालों की नज़रों से छुपकर नव्या कभी अंश के खिलौने तोड़ देती, तो कभी अंश के कपडों पर कातर चला देती, कभी अंश को चिमटी काट लेती, तो कभी दांतों से काट लेती थी हंसती, खेलती, चहकती गुड़िया सी नव्या अब चुप सी हो गई थी।<br />
<br />
घर वाले अब भी बेखबर से नव्या को नज़र अंदाज़ करते रहे नव्या अंदर ही अंदर छोटे से अंतर्मन से द्वंद्व से घिरे अब अजीब हरकतें करने लगी ताकि घरवालों का ध्यान अपनी ओर खिंच सके, कभी रसोई घर में कुछ तोड़ देती कभी खाने में नमक या मिर्च डाल देती, कभी बाथरुम में शैम्पू की बोतल से शैम्पू गिरा देती, तो कभी पूरी टूथपेस्ट पूरे घर में रगड़ देती, नव्या की एसी हरकत पर सब उसे समझाने की बजाय डांटते फ़टकारते थे पर किसीने नव्या की इन हरकतों के पीछे की वजह जानने की कोशिश ही नहीं की, खुद कविता ओर प्रशांत माँ बाप होकर भी अपनी बच्ची के साथ प्यार की बजाय सख्ती से पेश आते थे। नव्या अब ओर अजीब हरकतें करने लगी सर्दियों का मौसम था, अंश को सुलाकर कविता खाना बनाने में व्यस्त हो गई घर के ओर सारे लोग कहीं बाहर गए हुए थे तब नव्या ने चुपके से रुम में जाकर अंश के सारे कपड़े निकाल दिए ओर ए सी चालू करके दरवाज़ा बंद कर दिया, एक घंटे बाद जब कविता काम निपटा कर आई ओर देखा तो अंश बेहोश हो गया था, कविता सोचने लगी ये क्या अंश को तो कपड़े ओर स्वेटर पहनाकर सुलाया था, ओर इतनी तो पागल नहीं हूँ मैं की इतनी ठंड में ए सी चालू कर दूँ।<br />
<br />
ज़्यादा सोचने का वक्त नहीं था कविता ने तुरंत प्रशांत को फोन किया ओर डाॅक्टर अमित गुप्ता को घर पर बुला लिया प्रशांत ओर डाॅक्टर आए तब तक अंश को कपड़े पहनाकर हीटर चालू कर दिया प्रशांत ओर डाॅक्टर आ गए, डाॅक्टर ने पूछा एसे कैसे हो गया प्रशांत की तो मानों अंश जान था तो कविता पर बिगड़ गया तुम क्या कर रही थी बच्चे का ध्यान नहीं रख सकती वगैरह डाॅक्टर ने अंश को इंजेक्शन लगाया ओर हथेलियों ओर पैरों में मालिश की की तुरंत अंश होश में आ गया, ओर कविता से पूछा अब बताओ एसा हूआ कैसे? कविता ने सारी बात बताई तो डाॅक्टर ने पूछा अगर आपने अंश को कपड़े पहनाए थे ओर ए सी भी आपने चालू नहीं किया तो फिर कौन कर सकता है ? तब कविता के दिमाग में लाइट हुई, नव्या? ओह माय गोड तो क्या नव्या ने किया होगा ओर तो कोई घर में नहीं था तो कविता ने कहा शायद नव्या ने किया हो।<br />
<br />
नव्या का नाम सुनते ही प्रशांत का दिमाग हट गया इस लड़की ने आज तो हद ही कर दी आज नहीं छोडूंगा उसे कहाँ है वो कहते नव्या के नाम की ज़ोर से आवाज़ लगाई पर नव्या कहीं नहीं दिखी सारे घर में ढूँढा तो अलमारी के पीछे से नव्या की सिसकियाँ सुनाई दी।<br />
<br />
प्रशांत ओर कविता कुछ कहते या करते उससे पहले डाॅक्टर ने नव्या को प्यार से गोद में उठाया ओर पूछा अरे बिटियाँ रानी अकेले-अकेले लुका-छिपी खेल खेल रही है, चलो हम सब साथ मिलकर खेलते है चलो प्रशांत आप ओर कविता भी छुप जाओ नव्या हमें ढूँढेगी, नव्या को आँखों पर हथेलियाँ दबाने को बोलकर आँख मिचकारते कविता ओर प्रशांत को छुप जाने के लिए इशारा किया,<br />
<br />
एक-एक करके सबको ढूँढने पर नव्या के नाजुक चेहरे पर पहले सी मुस्कान ओर रौनक आज कई दिनों बाद कविता ने महसूस की ओर नव्या को गोद में उठा लिया, अंश के आने के बाद आज पहली बार नव्या को अपनी माँ की गोद मिली तो नव्या की आँखें नम हो गई ओर कविता से एसे लिपट गई मानों अब कभी इस गोद से अलग ही नहीं होना।<br />
<br />
डाॅक्टर ने प्रशांत ओर कविता को अगले दिन नव्या के मामले में विस्तृत चर्चा करने के लिए अपने क्लीनिक बुलाया।<br />
<br />
दूसरे दिन<br />
कविता ओर प्रशांत क्लीनिक आ गए डाॅक्टर ने दोनों को नव्या के बारे में बहुत सारे सवाल पूछे, कविता ओर प्रशांत ने नव्या की एक-एक बात ओर हरकतें बताई तो डाॅक्टर हैरान रह गए की एक पढ़े लिखें माँ बाप होकर भी दोनों ने नव्या के बालमानस के बारे में क्यूँ कभी सोचा नहीं, चाइल्ड सायकोलोजी भले पढ़ी ना हो पर समझ तो आनी चाहिए। डाॅक्टर ने कहा अंश के आने के बाद आप लोगों ने नव्या के प्रति बेदरकारी दिखाई उसकी हरकतों को नज़र अंदाज़ किया उसका ये परिणाम है, नव्या आठ साल तक आपकी इकलौती संतान थी हर लाड चाव उस अकेली को मिलता था अंश के आने के बाद आप सबका ध्यान नव्या से हटकर पूरी तरह अंश पर लग गया तो उसके बालमानस को ठेस पहूँची, ओर आप सबका ध्यान वापस अपने उपर केंद्रित करने के लिए वो मासूम बच्ची एसी शैतानियाँ करने लगी, तो क्या हुआ की अंश इतने सालों बाद आया ओर लड़का है नव्या भी आपकी ही संतान है, दूसरे बच्चे के आने के बाद अक्सर माँ बाप एसी गलतियाँ कर जाते है दोनों में से एक को पहले बच्चे पर ध्यान देना चाहिए ताकि पहले बच्चे को अकेलापन ओर असलामति महसूस ना हो।<br />
<br />
अगर आज ये हादसा ना होता तो आप मुझे ना बुलाते ओर आगे पता नहीं नव्या अंश के साथ क्या कुछ ख़तरनाक कर जाती तो आप दोनों अंश के साथ-साथ नव्या पर भी उतना ही ध्यान दें ओर उतना ही प्यार दें उसे प्यार ओर परवाह की जरूरत है डांटने फ़टकारने से उसके मानस पर आप सबके प्रति एक नफ़रत की भावना पलने लगेगी अंश को उसके करीब लाने की कोशिश कीजिए वो खुद अंश की देखभाल करने लगेगी।<br />
<br />
ओर कुछ बाल मनोविज्ञान की किताबें मेरी लाइब्रेरी से लेते जाईए ओर पढ़िए ताकि नव्या के साथ भी आप इंसाफ़ कर पाएँ।<br />
<br />
कविता ओर प्रशांत ने शर्मिंदा होते हुए डाॅक्टर से माफ़ी मांगी ओर कुछ किताबें लेकर एक संकल्प के साथ घर आए, ओर आते ही पहले नव्या को प्यार से गोद में उठाकर प्यार किया ओर अंश को उठाकर नव्या की गोद में रख दिया तो आज पहली बार नव्या ने अंश को प्यार किया, गाल को चुमा।<br />
आज कविता ओर प्रशांत भी खुश थे अपना परिवार पूरा करके।।<br />
*********************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b>भावना जीतेन्द्र ठाकर</b><br />
<b> चूडासान्द्रा, सरजापुर</b><br />
<b> बेंगलुरु -कर्नाटक </b></div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-18963206534366984122019-10-06T01:44:00.003-07:002019-10-06T01:45:27.212-07:0021वी सदी की कुछ नारीयाँ<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheQZPB84BkOB3_oH3o1w3WUG7rKX8Re-2PuFpCZgFGOSzCqAAXf_l2GeHtzZuoWhmP8bNNSiMp6_jehanr95-m64VjNRTxoY6TXFM4Ud0owqOkDTQLb_gWG1DsPkM3YXPbZQMuEFectPl5/s1600/Bhartiya-Nari.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="1032" data-original-width="825" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEheQZPB84BkOB3_oH3o1w3WUG7rKX8Re-2PuFpCZgFGOSzCqAAXf_l2GeHtzZuoWhmP8bNNSiMp6_jehanr95-m64VjNRTxoY6TXFM4Ud0owqOkDTQLb_gWG1DsPkM3YXPbZQMuEFectPl5/s320/Bhartiya-Nari.jpg" width="255" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;"><b>21वी सदी की कुछ नारीयाँ</b></span></span></td></tr>
</tbody></table>
<div>
21वी सदी की कुछ नारीयाँ भी क्यूँ मौका देती है खुद के विमर्श में पन्ने भर-भर के हर कोई उनकी बेचारगी लिखते रहें।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
एक दायरे में बँधी ज़्यादातर स्त्रीयाँ परिस्थितियों को बदलने के लिए लड़ती ही नहीं.! </div>
<div>
<br /></div>
<div>
इस परिस्थितियों के साथ वो कितनी मेहनत से एडजस्ट कर रही है वो बात सिर्फ़ अपने पति तक पहूँचे उतना ही चाहती है।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
फिर उसके पति को परवाह हो या ना हो क्यँ अपनी पीड़ा ज़ाहिर नहीं करती क्यूँ सहने की आदी बन जाती है। </div>
<div>
खुद के लिए रिस्पेक्ट खड़ा करना चाहती ही नहीं बस बेचारगी चेहरे पर चढ़ाए फिरती है, घर में अगर कोई परेशानी है तो पति को बताना उचित नहीं समझती, अंदर ही अंदर दु:खी होते सोचती रहती है कोई तो मुझे पूछे की क्या परेशानी है!</div>
<div>
<br /></div>
<div>
अरे आप खुद चिल्ला-चिल्ला कर बोलो ना घुट-घुट कर मरने में कौन सी महानता दिखानी है।</div>
<div>
जब पढ़ी लिखी हर बात में काबिल स्त्रीयाँ खराब परिस्थितियों को अपना लेती है तब लगता है ये विमर्श जो सदियों से चला आ रहा है ये उसी के लायक है !</div>
<div>
<br /></div>
<div>
जब कोई तुमको ना समझे तब हथियार मत डाल दो, अपने अस्तित्व को ख़ुमारी से उभारो खुद को स्थापित करो एक सन्मानजनक परिस्थिति के लिए।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
देखा है मैंने कुछ औरतों को घर के बुजुर्गो से लेकर बच्चों के हाथों ज़लिल होते हुए, ना बहू के रुप में सन्मान मिलता है, ना पति के मुँह से तारिफ़ के दो शब्द सुनने को मिलते है, ना बच्चे माँ की गरिमा को इज्जत देते है।</div>
<div>
तुम कुछ नहीं जानती, तुझे कुछ नहीं आता, या तुम तो रहने ही दो एसे तानों से एक स्त्री को कभी उपर उठने ही नहीं देते ओर वो खुद को तुच्छ समझने लगती है। </div>
<div>
<br /></div>
<div>
कोई ये क्यूँ नहीं समझता की स्त्री घर की नींव है जितनी समझ उसमें है उतना केलीबर किसी में नहीं। </div>
<div>
पर अपना मान सन्मान ओर अपनी एक विशेष पहचान बनाना अपने ही हाथों में है एडजस्टमेंट ओर सहनशीलता की मूर्ति मत बनें रहे, दिल के दर्द को वाचा दीजिए !</div>
<div>
<br /></div>
<div>
परिस्थितियों को सबके सामने रखकर हल ढूँढिये ओर अपने लिए एक सुखमय ज़िंदगी की राह चुनिये।</div>
<div>
एक बात हर स्त्री को याद रखनी चाहिए की वो है तो मकान घर बनता है, वो है तो पति घर के प्रति निश्चिंत होता है, वो है तो बुज़ुर्गों को दो टाइम समय पर खाना मिलता है, वो है तो बच्चों की हर जरूरतें पूरी होती है। </div>
<div>
चार दिन बाहर जाती है स्त्री तो घर की क्या हालत हो जाती है ये बात सब जानते है, तो अपने आप को गृहिणी नहीं घर की रानी समझो ओर खुद में इतना आत्मविश्वास जगाओ की दो बातें फ़ालतू की सुनाने से पहले हर कोई दो बार सोचे।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
कह दो अब स्त्री विमर्श में लिखने वालों को की अपने समय ओर कागज़ की फ़िज़ूल खर्ची ना करें, आज की नारी ना लाचार है, ना कमज़ोर है, ना बेचारी है, अपने आप में खुद्दारी की एक मिशाल है।</div>
<div>
<br /></div>
<div>
कब देखने को मिलेगा यातनाओं से उभरी स्त्रीओं से बसा उज्जवल समाज उस दिन में लिखूँगी "स्त्री एक वंदना" </div>
<div>
*********************</div>
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<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b> भावना जीतेन्द्र ठाकर</b></div>
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<b> बेंगलुरु - कर्नाटक </b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-65300842838041139262019-09-08T08:52:00.000-07:002019-09-08T08:53:17.547-07:00मिली है कुछ लम्हों की मोहलत<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhyY1thvF6XbAubEU3IQEQBovUaWhumc1ngyuZIevLXToTjVFsTerEEHnhFqt1ln-Iyu8BMaGZ_zODJ1nrB1d-_Q3UrtkYh8DJshbSCatkLGKmESbqAg2l_ncOevGUUFB_guT2C0DA3oUl/s1600/javan.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="400" data-original-width="600" height="266" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhyY1thvF6XbAubEU3IQEQBovUaWhumc1ngyuZIevLXToTjVFsTerEEHnhFqt1ln-Iyu8BMaGZ_zODJ1nrB1d-_Q3UrtkYh8DJshbSCatkLGKmESbqAg2l_ncOevGUUFB_guT2C0DA3oUl/s400/javan.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">मिली है कुछ लम्हों की मोहलत</span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>आज हसीन शाम को दरिया की गीली रेत पर चलते </i></b><br />
<b><i>ज़िंदगी से नाफ़रमानी करने को जी चाहता है.!</i></b><br />
<b><i>नहीं जीना यूँ खोखली ज़िंदगी मर मरकर </i></b><br />
<b><i>नहीं जाना आज घर वापस </i></b><br />
<b><i>भटकूँ पूरे शहर के चप्पे चप्पे को छान लूँ.!</i></b><br />
<b><i> बस जैसी हूँ वैसी ही निकल पडूँ ,</i></b><br />
<b><i>या पूरा दिन पड़ी रहूँ बिस्तर पर आभासी दोस्तों संग </i></b><br />
<b><i>बतियाते मोबाइल की बैटरी खत्म होने तक.!</i></b><br />
<b><i>कुछ ख़्वाब बुनूँ ऊँचे खुद को रानी कहलवाऊँ,</i></b><br />
<b><i>बस चलती रहूँ ओर किसी अनजाने यायावर सी </i></b><br />
<b><i>किसी मोड़ पर खो जाऊँ, </i></b><br />
<b><i>किताबों में खुद को खोजूँ या लिख दूँ किताब ही खुद पर.!</i></b><br />
<b><i>भीड़ को चिरती निकल जाऊँ हर इंसान को अनदेखा कर दूँ, </i></b><br />
<b><i>पडोसियों से मुँह मोडूँ ओर अन्जान को गले लगाऊँ.!</i></b><br />
<b><i>पान की दुकान पर जाकर सिगरेट मांगूँ पीऊँ भले नहीं,</i></b><br />
<b><i>दोस्तों के कहे जोक्स पर हंसने की बजाय रोने लगूँ, </i></b><br />
<b><i>ना कुछ महसूस करुँ ना मुस्कुराऊँ.!</i></b><br />
<b><i>कुंभ के मेले में कहीं खो जाऊँ किसी टोली के साथ चल निकलूँ.!</i></b><br />
<b><i>कानन की वनराई संग गीत जाऊँ</i></b><br />
<b><i> या सहरा में दूर-दूर दौड़ी जाऊँ,</i></b><br />
<b><i>या हिमालय की गिरी कंदरा में कहीं बस जाऊँ.!</i></b><br />
<b><i>या बार्डर पर सैनिकों को शौर्यगान सुनाऊँ,</i></b><br />
<b><i>शहीदों की विधवाओं को दे दूँ अपनी हिम्मत का हिस्सा, </i></b><br />
<b><i>या अनाथालय से बच्चे ले जाकर तड़पती बांझ को ममता दे दूँ.! </i></b><br />
<b><i>जात पात से उपर उठकर एकता की अलख जगा लूँ ,</i></b><br />
<b><i>स्त्री विमर्श की पड़ी रही उस कागज़ी पुकार की मैं धज्जियां उड़ा दूँ.!</i></b><br />
<b><i>मन करता है बलात्कारियों की बोटी नौच लूँ,</i></b><br />
<b><i>दुनिया से सारे गम की एक गठरी बाँधूँ फूँक लगा कर हवाओं में बहा दूँ,</i></b><br />
<b><i>आसमान से उधार मांगूँ खुशियों की सौगात </i></b><br />
<b><i>एक एक कर बाँटती जाऊँ हर चेहरे पर मुस्कान पाऊँ.!</i></b><br />
<b><i>पा लूँ कहीं से जादू एसा छूमंतर छू बोलकर गरीब के पेट की आग बूझा दूँ.!</i></b><br />
<b><i>मिली है कुछ लम्हों की मोहलत,</i></b><br />
<b><i>मन करता है मरने के बाद भी नाम रहे कुछ एसा कर जाऊँ।।</i></b><br />
<br />
*************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b> भावना जितेन्द्र ठाकर</b><br />
<b> बेंगलुरु-कर्नाटक </b></div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-73279310489504937382019-08-28T10:09:00.000-07:002019-08-28T10:09:47.405-07:00पैसा बोलता है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9cydwfEX2e41SW-Ay82FPt7TcDCY4zd5qWNctcX7S8wthZVOTeXSj0TEELGIObgohi2RJ2ZmHiBgGyzxKizoC4OioQiE2ap8abtSErM5erSr8L3qqzeSZqVHUBppIXCfKnFtWJlpsK1lS/s1600/renu+mondal.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="729" data-original-width="720" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9cydwfEX2e41SW-Ay82FPt7TcDCY4zd5qWNctcX7S8wthZVOTeXSj0TEELGIObgohi2RJ2ZmHiBgGyzxKizoC4OioQiE2ap8abtSErM5erSr8L3qqzeSZqVHUBppIXCfKnFtWJlpsK1lS/s400/renu+mondal.jpg" width="395" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">पैसा बोलता है </span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>पैसा बोलता है </i></b><br />
<b><i>रिश़्तों के हर राज़ खोलता है</i></b><br />
<b><i>सच है कि</i></b><br />
<b><i>पैसा बोलता है</i></b><br />
<b><i>जब रोती हैं रातें</i></b><br />
<b><i>ज़ज़्बात पिघलते हैं</i></b><br />
<b><i>नही होते हैं अपने</i></b><br />
<b><i>जब हालात बिगड़तें हैं</i></b><br />
<b><i>वक़्त तब अपनों के राज़ तौलता है</i></b><br />
<b><i>सच है कि</i></b><br />
<b><i>पैसा बोलता है</i></b><br />
<b><i>रातों-रात जब चमक उठे किस्मत के सितारें</i></b><br />
<b><i>उठाकर जमीं से </i></b><br />
<b><i>मुझे जो फ़लक पर बिठाते</i></b><br />
<b><i>आये नयें रिश़्तों के</i></b><br />
<b><i>मिलने नये तरानें</i></b><br />
<b><i>सच कहते है लोग</i></b><br />
<b><i>भूलों तुम गुज़रे ज़मानें</i></b><br />
<b><i>पैसा ही है जो हर तार जोड़ता है</i></b><br />
<b><i>बिल्कुल सच है ये कि</i></b><br />
<b><i>#पैसा बोलता है।</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>*****************</i></b><br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYhMldldlt9X343XF1Rpug2Xc81rkWkd-xO6fYoVAv-Fwqv574RqkSB7UVGUOUwbPGhpKlAaYGtuWcRb9itNXDF30pgA52-D60xBM7VZpmMq27pR9pPlC4z3rcP6wJZEwhMDfnS1_agyug/s1600/Snigdha.jpg" /><br />
<b> स्निग्धा रूद्र </b><br />
<b> धनबाद , इंडिया </b><br />
<div>
<br /></div>
</div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-18080187227230538392019-08-25T09:58:00.002-07:002019-08-25T09:58:54.944-07:00महान व्यक्तित्व अरुण जेटली जी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM0c69JesGml7goJI3irPcTDtPnr6XIZU5pZZXzb09o6k-fwwgCCH5aG26GcUQxHd8WdVZy8E5y7coDLU87sWFmHRNBCn55wTBRbh4iDNuayDNJGSytleUnAvImvkPENXYIzE9Ctjmrdsz/s1600/arun+ji.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="375" data-original-width="720" height="207" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhM0c69JesGml7goJI3irPcTDtPnr6XIZU5pZZXzb09o6k-fwwgCCH5aG26GcUQxHd8WdVZy8E5y7coDLU87sWFmHRNBCn55wTBRbh4iDNuayDNJGSytleUnAvImvkPENXYIzE9Ctjmrdsz/s400/arun+ji.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="font-size: x-small;"><b><span style="text-align: left;">महान व्यक्तित्व </span>अरुण जेटली जी</b></span></td></tr>
</tbody></table>
दिल्ली यूनिवर्सिटी में काउंसिलिंग के समय एडमिशन फीस 5 रुपया उन दिनों था!!<br />
<br />
एक कमरे के किराये के घर में मां बाप और 7 बहनों के साथ रहने वाला एक गरीब लड़का अपने ग्रेजुएशन में काउंसिलिंग के समय से 1 घण्टा लेट पहुँचा...हाँफते हुए वो काउंटर के पास गया तो समय निकल चुका था...<br />
<br />
<br />
काउंटर से कर्मचारी पूछा..."अभी तक कहा थे, समय पे नही आ सकते ,क्यों लेट हुवा?"...<br />
लड़के ने जवाब दिया.."सर किराये के पैसे नही थे इसलिए सुबह से ही पैदल चल के आ रहा हूँ"..<br />
<br />
बहुत रिक्वेस्ट के बाद किसी कॉन्सिलिंग के लिए डॉक्यूमेंट ले लिया जाता हैं, और कुछ देर पास लड़का फिर रिक्वेस्ट करता हुआ वहां गिड़गिड़ाता हैं..."सर बाकी कल जमा कर देंगे, हमारी ओरिजिनल डॉक्यूमेंट आप रख लीजिए,हम कल काउंटर खुलने से पहले ही कर देंगे जमा"....<br />
<br />
कर्मचारी:- नही नही!! आज ही रसीद कटेगी, तो आज ही करो नही तो मैं कुछ नही कर सकता....<br />
<br />
लड़का फिर गिड़गिड़ाता हैं ....कि उसके पीछे से कोई कंधे पे हाथ रख के ...काउंटर पे कर्मचारी से सवाल करता हैं...."क्यों परेसान कर रहे हो इसे, और इतनी बतमीजी से कौन कहा बात करने को??<br />
<br />
अरे अरुण जी, 5 रुपया फीस हैं, और 3 रुपया ही जमा कर रहा हैं ये लड़का,हम कैसे रसीद काट दे!!<br />
<br />
तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष अरुण जेटली ने उस लड़के से उसकी स्तिथि जानी ....और फिर बाकी 2 रुपया जेब से निकल के उस लड़के की फीस जमा कर दी!!<br />
<br />
लड़का काउंसिलिंग पूरी करने के बाद थोड़ी दूर खड़े अरुण जेटली को थैंक-यू बोलने गया....जेटली ने कहा अब तो तुम्हारे पास चाय पीने के भी पैसे नही होंगे....आओ मैं तुम्हे चाय पिलाने ले चलता हूँ!!<br />
<br />
वो लड़का, आज डीडीसी एसोसिएशन का प्रेजिडेंट , न्यूज़ ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन चेयरपर्सन और इंडिया टीवी का मालिक #रजत_शर्मा हैं!!<br />
<br />
महान व्यक्तित्व मरने के बाद भी दुसरो के जिंदगियो में जिंदा रहता हैं,<br />
ऐसे महान व्यक्तित्व स्व० अरुण जेटली जी को नमन!! 🙏🙏❤❤.<br />
************************<br />
<b>साभार : सोशल मीडिआ </b></div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-67993026354898203192019-07-14T01:57:00.001-07:002019-07-14T01:58:11.228-07:00जज्बां देशभक्ति का <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDO79x88RsQwR8FLKBNo-DvgYT0R7b9IbjeFNGZNVk35P2rSAY4DeLmuFGUKX5xOprIU80_rLHLRTzVRAdzM0bBjDc3c4863zrjVJYyb0CduIFdDpmtKFLK_wCsQfyhe2Hc1U_u56eXiJl/s1600/slogan.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="438" data-original-width="650" height="215" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDO79x88RsQwR8FLKBNo-DvgYT0R7b9IbjeFNGZNVk35P2rSAY4DeLmuFGUKX5xOprIU80_rLHLRTzVRAdzM0bBjDc3c4863zrjVJYyb0CduIFdDpmtKFLK_wCsQfyhe2Hc1U_u56eXiJl/s320/slogan.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">जज्बां देशभक्ति का </span></b></td></tr>
</tbody></table>
<b><i>औरो के नापाक मंसूबो पर हरदम पानी फिराये रखा है | </i></b><br />
<b><i>शिशुओं को जज्बां देशभक्ति का घुट्टी में पिलाये रखा है !</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>त्याग, बलिदान और शौर्य की गाथा माटी के कण कण में,</i></b><br />
<b><i>मशाल इन्ही जज्बातों की हमने घर घर में जलाये रखा है |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>पढिये रणभूमि में शिकस्त देकर लोहा मनवाते योद्धाओं को,</i></b><br />
<b><i>इसमें अतीत के हर पृष्ठ ने अप्रतिम इतिहास रचाये रखा है |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>पोषक रहा भ्रातृत्व और विश्वबंधुत्वता प्रेरणा -पूंज सा, </i></b><br />
<b><i>सबने विश्वगुरु का सर पर ताज तभी तो पहनाये रखा है |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>बड़ा गौरवशाली इतिहास रहा है भारतीय संस्कृति का ,</i></b><br />
<b><i>तभी तो पर्यटकों को यु बेपनाह इस ओर लुभाये रखा है |</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>पाकर आहट अग्रगण्य उन्नतिशील कदम- चाप की,</i></b><br />
<b><i>सिहरते आतप ने बैरियों को किस कद्र हिलायें रखा है|</i></b><br />
<b><i><br />
</i></b> <b><i>गिराकर मनोबल रण से पहले रूह कंपाते दुश्मन की, </i></b><br />
<b><i>"सीमा " सन्नद्ध रणबांकुरो का अहसास कराये रखा है |</i></b><br />
************************<br />
<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZ2EHnzCItKtK0bw8Y9T3PmD9jD4Vg36altbBCe0OM94mZlY-2kDUbjmB3NgTTyLDgLPUsr-_kebeYxkhRqpMcyqCPCUDHo6dj7Fv8iShoSqnLaW7l5EebkcWZ68qFNge7Ouv7fRJqIXmk/s1600/Seemalohiaa.jpg" /><br />
<b> सीमा लोहिया </b><br />
<b> झुंझूनू (राजस्थान) </b> </div>
</div>
</div>
@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-18256721041420488652019-07-14T01:32:00.000-07:002019-07-14T01:33:12.529-07:00आधुनिक सोच से किसी की ज़िंदगी सँवर सकती है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9Y_GTcNqVdJoJB51JcIBAu38AV7jd9dN3KzxBqMKdXxRR_4f1f-0ntIaGU7H9ogIw2VqVKiJdZlyEXG18-aGtku2LkNJ170eFIDE8NvUbsyFsVe7nuTvyTzkRDnh7pKzYvDWwHsTATzik/s1600/adhunik+sonch.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="680" data-original-width="1024" height="265" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9Y_GTcNqVdJoJB51JcIBAu38AV7jd9dN3KzxBqMKdXxRR_4f1f-0ntIaGU7H9ogIw2VqVKiJdZlyEXG18-aGtku2LkNJ170eFIDE8NvUbsyFsVe7nuTvyTzkRDnh7pKzYvDWwHsTATzik/s400/adhunik+sonch.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="text-align: left;"><b><span style="font-size: x-small;">आधुनिक सोच से किसी की ज़िंदगी सँवर सकती है</span></b></span></td></tr>
</tbody></table>
आज मोबाइल कंपनी की ओर से इन्क्वायरी आई तो सुशांत के होश उड़ गए कुछ लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई थी की,<br />
<br />
एक नंबर से बार-बार काॅल आ रहे है ओर उठाने पर एक औरत बहकी हुई आवाज़ में कुछ अजीब बातें करती है ओर फिर अपने आप फोन काट देती है..!<br />
<br />
ओर इन्क्वायरी में जिस नंबर का ज़िक्र था वो सुशांत की माँ का नंबर था, सुशांत शर्म के मारे ओर कुछ गुस्से के मारे खिसीयाना हो गया,<br />
<br />
माँ से पूछे भी तो कैसे क्या ये सच होगा माँ एसा कर सकती है, या मोबाइल कंपनी वालों की कोई गलतफहमी है।<br />
पर पूछना तो पड़ेगा सुशांत ने अपनी पत्नी रिया को डरते-डरते सारी बात बताई रिया साइकियाट्रिस थी ओर समझदार भी, सुशांत को निश्चिंत रहने को बोला ओर बोला की मुझपर छोड़ दो माँ को मैं हेन्डल करूँगी।<br />
दूसरे दिन शाम को रिया कुसुम को वाॅकिंग के बहाने पार्क में ले गई ओर बातों बातों में अपनी सहेली की कहानी बताकर मोबाइल इन्क्वायरी वाली बात बताई ओर पूछा माँ आपको क्या लगता है क्या मेरी दोस्त की माँ एसा कर सकती है?<br />
<br />
कुसुम गुस्से से आगबबूला हो गई क्यूँ नहीं कर सकती, इंसान कहीं तो अपने दिल में दबे अहसासों को ज़ाहिर करेगा ही ना, पूरी ज़िंदगी जिस चीज़ के लिए तरसा हो वो ओर क्या करेगा,<br />
हर दिल में अरमाँ होते है कोई प्यार से बातें करने वाला हो ना की स्त्री को सिर्फ़ कामपूर्ति का साधन समझ कर हवस पूर्ति करके एक साधन समझकर छोड़ दें..!<br />
<br />
रिया समझ गई कई बार सुशांत ने अपने पापा के बारे में कुछ एसी बातें बताई थी, जो इंसान बच्चों की भावनाओं को भी ना समझता हो वो पत्नी के अहसासों भी नहीं समझा होगा।<br />
सुशांत के पापा को गुज़रे दो साल हो गया था कुसुम हंमेशा तरसती रही की आनंद उससे दो प्यार भरी बातें करे, कभी कोई शाम गुजारे दरिया के साहिल पर बैठे, अंतरंग पलों में भी पहले बातों से बहलाए ना की वासना का शमन करने भर का रिश्ता रखें..!<br />
<br />
कुसुम चंचल ज़िंदादिल ओर बातूनी है पर आनंद ने कभी उसकी भावनाओं को नहीं समझा था, रिया समझ गई की बस उस ख़लिश ने दिल में विकृत स्वरूप ले लिया था।<br />
रिया ने बातों ही बातों में कुछ दिनों में कुसुम से सब उगलवा लिया ओर सुशांत को सब बताया,<br />
सुशांत गुस्सा हो गया बोला हद है अब पापा का नेचर एसा था तो क्या ये सब उसे इस उम्र में शोभा देता है रिया माँ पागल हो गई है..!<br />
<br />
रिया ने बोला नहीं माँ मानसिक तौर पर बीमार नहीं है रूह के भीतर कहीं किसी कोने में दबी हुई मरी हुई इच्छाओं के दमन ने सर उठाया है।<br />
<br />
सुशांत बुरा ना मानों तो एक बात कहूं<br />
<br />
सुशांत ने हाँ में सर हिलाया तो रिया बोली माँ की दूसरी शादी करवा देते है।<br />
सुशांत का हाथ उठ गया, पर रुक गया ओर इतना ही बोला मन करता है तुम दोनों सास बहु को पागलखाने भेज दूं सबका दिमाग खराब हो गया है..!<br />
<br />
रिया ने सुशांत को शांत करके समझाते हुए कहा, देखो सुशांत मेरे क्लिनिक में एसे बहुत केस आते है अगर इसका इलाज ना किया जाए तो पागलपन की हद तक उनकी हरकतें पहूँच जाती है,<br />
<br />
माँ ने ज़िंदगी भर पापा की बेरुखी सही है, प्यार को तरसती है, उनका मन नाजुक है दिल में दबी आस को वजह मिलेगी तो सब ठीक हो जाएगा।<br />
<br />
हम दोनों अपनी लाइफ ओर काम में व्यस्त है माँ को कंपनी की जरूरत है, एक एसे इंसान की जो उसे समझे, प्यार दे, बातें करे, समय दे..!<br />
<br />
ओर उसमें बुराई क्या है उम्र के इस पड़ाव पर ही इंसान को इन सब चीज़ों की ज़्यादा जरुरत होती है..!<br />
अब सुशांत के गले बात उतर रही थी उसने भी सोचा की रिया की बात सोचने लायक है माँ को कई बार गुमसुम बैठे देखा है हम तो अपनी लाइफ में इतने उलझे है की समय ही नहीं दे पाते माँ को भी उनकी अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जिनेक पूरा हक है।<br />
बस फिर क्या था सुशांत ओर रिया ने आन-लाइन खोजबीन शुरू कर दी कोई अच्छा सा समझदार ओर जो माँ की तरह ही अकेला हो।<br />
ओर कुछ दिन में बहुत सारे रिस्पांस मिले<br />
उनमें से एक रिटायर शिक्षक मिस्टर अमर तिवारी रिया ओर सुशांत को अच्छे लगे<br />
दोनों उनसे मिले बात चित की अमर तिवारी जी ने शादी नहीं की थी अकेले ही थे ओर अब इस उम्र में वो भी किसी अपने का साथ ढूँढ रहे थे..!<br />
तो बस सब तय करके रिया ओर सुशांत ने अब कुसुम से बात की, पहले तो कुसुम ने साफ मना कर दिया ये कहकर की मुझे अब किसी से कोई उम्मीद नहीं बहुत सह चुकी, जिसे ज़िंदगी समझा उसी ने मुझे नहीं समझा तो अब ओर कोई मुझे क्या समझेगा?<br />
<br />
पर रिया ओर सुशात ने जब अमर तिवारी ओर कुसुम की मुलाकात करवाई तो दोनों को लगा की शायद अब दोनों की तलाश खतम हुई, अपने ने अपने को पहचान लिया और स्टैम्प पेपर पे हस्ताक्षर करके कोर्ट मेरिज कर ली..!<br />
आज सब खुश है कुसुम ओर अमर तिवारी मानों सालों से एक दूसरे को जानते हो एसे घुल-मिल गए है माँ के चेहरे पर सालों बाद हंसी ओर रौनक देखकर सुशांत को एक संतोष मिल रहा है अपनी माँ को ज़िंदगी देने का।।<br />
भावु।<br />
कुछ लोगों को इस कहानी का विषय अखर सकता है पर किसी आधुनिक सोच से किसी की ज़िंदगी सँवर सकती है तो नई सोच अपनाने में बुराई क्या है?<br />
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<img alt="Avatar" class="avatar" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4fjEm8gp9yNmystcjf5L_UZ-EDvjSpCWzOyxhQy7RHH_bVzdQhXu4nc3EQgquUprtjQ0wAj9tKAnI7WJcyLvUvLk4WiH9FumPoBt7Ja5Pv92skmY8BmyiSIyKALP0aSdiw6NB4sq-RcdJ/s1600/Bhavana.JPG" /><br />
<b> भावना जीतेन्द्र ठाकर</b><br />
<b> बेंगलुरु -कर्नाटक </b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-28686561059834773552019-06-29T07:55:00.000-07:002019-06-29T07:55:29.106-07:00हथेली में यह रेखाएं दिलाती हैं अचानक ही धन लाभ<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCEG1wXk20yPEuV0UaqsuNvSdWYgFNXkZkkFIy4k1GbFIwB_6qqCj8YgURia2ERC0rL-yu21fz5ll9YucJwIJBXF73EeB54S9_tHCXHOk-K8TQ7KYsX4a-IkRtsRCyafjyVnCkwtPGXpUr/s1600/hastrekha.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="547" data-original-width="835" height="261" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCEG1wXk20yPEuV0UaqsuNvSdWYgFNXkZkkFIy4k1GbFIwB_6qqCj8YgURia2ERC0rL-yu21fz5ll9YucJwIJBXF73EeB54S9_tHCXHOk-K8TQ7KYsX4a-IkRtsRCyafjyVnCkwtPGXpUr/s400/hastrekha.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><span style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;"><b>हथेली में यह दस रेखाएं </b></span></span></td></tr>
</tbody></table>
हथेली में यह रेखाएं दिलाती हैं अचानक ही धन लाभ<br />
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👉यहां ऐसी दस रेखाओं के बारे में जानिए जो आपकी हथेली में भी हैं तो आपको अचानक ही धन लाभ मिलेगा। जानिए किस उम्र में दिलाएंगी यह रेखाएं लाभ।<br />
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👉जिस व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह होता है उसे जीवन में अचानक ही धन लाभ मिलता है। 45 वर्ष की उम्र इन्हें अचानक प्रसिद्घि और बड़ा धन लाभ प्राप्त होता है।<br />
<br />
👉जिनकी हथेली में चन्द्रपर्वत से निकलकर भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचती है उन्हें शादी के बाद अचानक ही धन का लाभ प्राप्त होता और इनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है।<br />
<br />
👉जिस व्यक्ति की हथेली में जीवन रेखा से निकलकर कुछ रेखाएं गुरु पर्वत तक आती हैं उन्हें भी बिना उम्मीद बड़ा लाभ मिलता है।<br />
<br />
👉मस्तिष्क रेखा से निकलकर कोई रेखा शनि पर्वत पर आती है तो व्यक्ति को 35 साल की उम्र के बाद विशेष धन लाभ प्राप्त है, जिसकी व्यक्ति को उम्मीद भी नहीं रहती है।<br />
<br />
👉हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार अनामिका व मध्यमा उंगली पर कहीं भी वर्ग का निशान हो तो शुभ होता है। इससे व्यक्ति को अचानक धन लाभ प्राप्त होता है।<br />
<br />
👉जिनकी हथेली में हृदय रेखा, भाग्य रेखा और सूर्य रेखा से मिलकर त्रिभुज का चिन्ह बनता है उन्हें भी जीवन में अकस्मात ही धन लाभ मिलता रहता है।<br />
<br />
👉हथेली में गुरू पर्वत पर वर्ग का चिन्ह मौजूद है तो यह भी अचानक धन प्राप्ति का योग बनाता है।<br />
<br />
👉हथेली में जीवन रेखा के अंत में अगर वर्ग का चिन्ह है तो यह भी अचानक धन प्राप्ति का सूचक होता है।<br />
<br />
👉जिनकी हथेली में मणिबंध से शुरू होकर कोई रेखा बुध पर्वत यानी छोटी उंगली तक आती है तो यह उनके लिए अचानक धन प्राप्ति का योग बनाता है।<br />
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👉जिनके हाथों में तर्जनी उंगली और सबसे छोटी यानी कनिष्ठिका उंगली एक बराबर होती है वह भी अचानक धन प्राप्त करते हैं।<br />
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<b>आचार्य सत्यानन्द पाण्डेय</b><br />
<b>ज्योतिषाचार्य एवं तंत्राचार्य</b><br />
<b>दिव्य ज्योतिष केंद्र</b><br />
<b>वाराणसी उत्तर प्रदेश</b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-55324300203682594302019-06-29T07:45:00.002-07:002019-06-29T07:46:03.792-07:00नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqvfnPTri-0curDSFD_GVde2C3kGEbEfj-S2Ea_7HBtgxPO4sx5C-lU1x2Vewgi40LQEXDOSHWYGyxbkLI976bT1CUNq8nZEmLoxfw3Qc_HtZs_EWmuMrv9_mPAkPhFpe2T_Ss3x8Wb5D4/s1600/nabhi-ukhdna.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="514" data-original-width="686" height="298" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqvfnPTri-0curDSFD_GVde2C3kGEbEfj-S2Ea_7HBtgxPO4sx5C-lU1x2Vewgi40LQEXDOSHWYGyxbkLI976bT1CUNq8nZEmLoxfw3Qc_HtZs_EWmuMrv9_mPAkPhFpe2T_Ss3x8Wb5D4/s400/nabhi-ukhdna.jpg" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b>नाभी कुदरत की एक अद्भुत देन है</b></td></tr>
</tbody></table>
एक 62 वर्ष के बुजुर्ग को अचानक बांई आँख से कम दिखना शुरू हो गया। खासकर रात को नजर न के बराबर होने लगी।जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनकी आँखे ठीक है परंतु बांई आँख की रक्त नलीयाँ सूख रही है। रिपोर्ट में यह सामने आया कि अब वो जीवन भर देख नहीं पायेंगे।.... मित्रो यह सम्भव नहीं है..<br />
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मित्रों हमारा शरीर परमात्मा की अद्भुत देन है...गर्भ की उत्पत्ति नाभी के पीछे होती है और उसको माता के साथ जुडी हुई नाडी से पोषण मिलता है और इसलिए मृत्यु के तीन घंटे तक नाभी गर्म रहती है।<br />
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गर्भधारण के नौ महीनों अर्थात 270 दिन बाद एक सम्पूर्ण बाल स्वरूप बनता है। नाभी के द्वारा सभी नसों का जुडाव गर्भ के साथ होता है। इसलिए नाभी एक अद्भुत भाग है।<br />
नाभी के पीछे की ओर पेचूटी या navel button होता है।जिसमें 72000 से भी अधिक रक्त धमनियां स्थित होती है<br />
नाभी में गाय का शुध्द घी या तेल लगाने से बहुत सारी शारीरिक दुर्बलता का उपाय हो सकता है।<br />
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1. आँखों का शुष्क हो जाना, नजर कमजोर हो जाना, चमकदार त्वचा और बालों के लिये उपाय...<br />
सोने से पहले 3 से 7 बूँदें शुध्द घी और नारियल के तेल नाभी में डालें और नाभी के आसपास डेढ ईंच गोलाई में फैला देवें।<br />
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2. घुटने के दर्द में उपाय<br />
सोने से पहले तीन से सात बूंद अरंडी का तेल नाभी में डालें और उसके आसपास डेढ ईंच में फैला देवें।<br />
<br />
3. शरीर में कमपन्न तथा जोड़ोँ में दर्द और शुष्क त्वचा के लिए उपाय :-<br />
रात को सोने से पहले तीन से सात बूंद राई या सरसों कि तेल नाभी में डालें और उसके चारों ओर डेढ ईंच में फैला देवें।<br />
<br />
4. मुँह और गाल पर होने वाले पिम्पल के लिए उपाय:-<br />
नीम का तेल तीन से सात बूंद नाभी में उपरोक्त तरीके से डालें।<br />
नाभी में तेल डालने का कारण<br />
हमारी नाभी को मालूम रहता है कि हमारी कौनसी रक्तवाहिनी सूख रही है,इसलिए वो उसी धमनी में तेल का प्रवाह कर देती है।<br />
<br />
जब बालक छोटा होता है और उसका पेट दुखता है तब हम हिंग और पानी या तैल का मिश्रण उसके पेट और नाभी के आसपास लगाते थे और उसका दर्द तुरंत गायब हो जाता था।बस यही काम है तेल का।<br />
<br />
अपने स्नेहीजनों, मित्रों और परिजनों में इस नाभी में तेल और घी डालने के उपयोग और फायदों को शेयर करिये।<br />
करने से होता है , केवल पढ़ने से नहीं<br />
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<b>शेखर जयरमनी </b></div>
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@rvind Tiw@rihttp://www.blogger.com/profile/08498493590167876986noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4809792996083938523.post-53851243900937270562019-06-09T08:41:00.001-07:002019-06-09T08:41:47.903-07:00पत्नी पीड़ित मर्दों का समूह<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="border: 1px solid black; padding: 10px;">
<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXY624_6J1BAU9_2f3rJGqlA9zKudmtBafQP-RmfGoi2Tb_pXIWk0HGX6Nbkf9n3A82M41ID9MIr7vbmHqbPJcCpcB2t2haDzf2gvt9iQEL8X_r8kbU-2V8_HJRplZKixFcIlr3mBol5XH/s1600/patipatni.webp" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" data-original-height="506" data-original-width="562" height="360" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXY624_6J1BAU9_2f3rJGqlA9zKudmtBafQP-RmfGoi2Tb_pXIWk0HGX6Nbkf9n3A82M41ID9MIr7vbmHqbPJcCpcB2t2haDzf2gvt9iQEL8X_r8kbU-2V8_HJRplZKixFcIlr3mBol5XH/s400/patipatni.webp" width="400" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><b style="text-align: left;"><span style="font-size: x-small;">पत्नी पीड़ित मर्दों का समूह</span></b></td></tr>
</tbody></table>
आज इस चौंकाने वाले विज्ञापन ने <br />
सोचने पर मजबूर कर दिया..!<br />
आज मैंने एक समूह का विज्ञापन देखा<br />
की जुड़े हमारे साथ जिसे न्याय चाहिये, शरमाइये मत<br />
अगर निज़ात पाना चाहते है घरेलू हिंसा से<br />
<br />
<b> 'पत्नी पीड़ित मर्दों का समूह' </b><br />
<br />
तब से सोच रही हूँ क्या हम जो महिला दिन मनाते है उसे लाज़मी समझूँ ?<br />
अगर इनकी बातों को सही माना जाय तो हमें किस निष्कर्ष पर आना चाहिये,<br />
अभिमान करना चाहिये औरतों पर या शर्म ?<br />
<br />
क्या ये जानकर हमारी गर्दन फ़ख्र से ऊँची कर लें की देखो कैसे औरत मर्द पर भारी है,<br />
या असमंजस में झुका लें...!<br />
<br />
माना की आज की नारी प्रबुद्ध और सक्षम है तो क्या अपनी गरीमा खो देनी चाहिये,<br />
माना की कुछ मर्द नरम स्वभाव के हो ओर जीवन में शांति की कामना करते है तो क्या स्त्री को हक़ बनता है की उसका फ़ायदा उठाया जाय...!<br />
<br />
ये सिर्फ़ विज्ञापन देखकर ही नहीं कह रही पर आज से मानों ३० साल पहले हमारे पडोस में रह रहे अच्छे खासे पढ़े लिखे इंसान ने अपनी पत्नी के ज़ुल्म से तंग आ कर खुदकुशी कर ली थी..!<br />
<br />
ओर शायद आपने भी कहीं सुना होगा आसपास देखा भी हो ये अन्याय होते हुए..!<br />
मतलब समाज में हमारी सोच से विपरीत भी बहुत कुछ एेसा होता है...!<br />
<br />
कोई तंग आकर मुखर हो जाता है तो कोई संकोचवश दमन सहते रहता है..<br />
क्या मानसिकता रहती होंगी उन स्त्रीओं की जो इस हद तक जाती होगी,<br />
सक्षम होना क़तई ये नहीं जताता की तुम स्वामिनी बन जाओ सांसारिक परिभाषा को अपने हाथ में लेकर एक मर्द पर अत्याचार करना विद्वान नहीं मूर्खता की निशानी है...!<br />
<br />
एक मर्द को न्याय मांगने निकलना पड़े औरत के हाथों प्रताड़ित होते ये कोई अभिमान करने वाली बात तो हरगिज़ नहीं...!<br />
<br />
समान हक़ फ़र्ज़ की बातें जितनी मर्द को लागू होती है उतनी ही स्त्रियों को भी,<br />
हमने ये भी देखा है की कुछ कानून जो स्त्रियों के हक़ में है उसका गैरउपयोग भी होता है उसके चलते स्त्री के प्रति मर्द कोई भी कानूनी कारवाई करने से कतराते है..!<br />
इस वजह से समाज में बहुत सारे किस्से दब जाते है,<br />
<br />
Just bcoz स्त्री स्त्री है तो सबकी सहनाभूति की हकदार बनकर बेचारगी की वाहवाही नहीं लूंट सकती..!<br />
स्त्री के सताये उन मर्दों के लिये भी आवाज़ उठनी चाहिये,मेरे इस विचार के साथ तो कुछ प्रबुद्ध विदुषीयाँ भी सहमत होंगी,<br />
<br />
हनन करना पाप है तो सहना भी पाप है अगर स्त्री पीड़ित है मर्द के हाथों तो भी आवाज़ उठाएँ ओर मर्द को भी पूरा हक़ है अपना पक्ष रखकर आवाज़ उठाने का...!<br />
<br />
ये मुद्दा सभ्य समाज की एक स्त्री को शर्मसार करती छबि है पर हाँ एैसा होता भी है ये कड़वा है।।<br />
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<b> भावना जीतेन्द्र ठाकर</b><br />
<b> बेंगलुरु -कर्नाटक </b></div>
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