गूहि-गूहि टांग दीं .....

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गूहि-गूहि टांग दीं अंजोरिया के पुतरी
गूहि-गूहि टांग दीं
अंजोरिया के पुतरी
लछिमी गनेस के
असीस घरे उतरी।

एगो दिया गंगा जी के
एगो कुलदेव के
एक गउरा पारबती
भोला महादेव के
एक दिया बार दिहअ
तुलसी के चउरी।

सासु के ननद के
समुख बूढ़ बड़ के
गोड़े गिर सरधा
समेट भूंइ गड़ के
खींच माथे अंचरा
लपेट खूंट अंगुरी ।

लाई-लावा संझिया
चढ़ाइ बांट बिहने
अन्नकूट पूजि के
गोधन गढ़ि अंगने
गाइ-गाइ पिंड़िया
लगाइ लीप गोबरी ।

धनि हो अहिन्सा हऊ
पाप-ताप मोचनी
घर के सफाई मुए
मकरी - किरवनी
लोग पूजे अंवरा
खिआवे सेंकि भउरी ।

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कवि :- Anand Sandhidoot 

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