यह मैने वसीयत मे भी लिख दिया है

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★★कबाड़ का मोल★★परिवर्द्धित 
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कबाड़ का मोल
मै ठहरा कबाड़ का व्यापारी।पिछले साल दिसंबर 2014 मे कलकता प्रवास के दौरान रविवार को एक पुराने सामान के नीलामी स्थल पर जा पहुंचा।वहां हर रविवार को पुराने सामानों की नीलामी होती थी।गोरखपुर रेलवे के लास्ट प्रार्पटी आफिस मे भी पहले हर महीने रेलवे के बिना छुड़ाये हुये सामानों की नीलामी होती थी।उसमे भी मैने कई बार भाग लिया था। अपने नगर के मालगोदाम से भी एक बार तीन सौ बोरी सीमेंट नीलामी मे ही लिया था।अतः नीलामी के सारे दांव पेंच भी मुझे मालूम थे।
वहां नीलामी मे एक पुरानी कबाड कार भी खडी थी।मैने सोचा यह कार 25-30 हजार मे मिल जायेगी तो मै ही ले लूँगा।बाजार मे 35-40 हजार मे बिक ही जायेगी या तोड़कर भी बिकेगी तो 10-15 हजार तो बच ही जायेंगे।कार की नीलामी शुरू हुई।
एक सज्जन की पहली बोली आई, एक लाख।यह क्या? एक लाख।मै यह सुनकर मै चौंक गया। मेरा माथा चकराने लगा।
फिर आवाज आई 2 लाख।मै फिर चौंका।
तब तक पीछे से आवाज आई 3 लाख।उसके बाद सीधे 5 लाख। यह सुनकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न था।मैने सोचा लगता है सबलोग पगला गये हैं।मै इस पर चिंतन मनन कर ही रहा था कि तब तक एक दुबला पतला आदमी बुलंद आवाज मे बोला, 10 लाख।ये तो पुरानी आनारकली फिल्म के अनारकली के नीलामी से भी बढकर हैरतअंगेज नीलामी थी।मै हैरत मे पड गया। मै भी जवानी मे कबाड़ सा ही था और लडकी वालों ने मेरी बोली 10 लाख लगाई थी।
मैने नीलामी लेने वाले को किनारे बुलाकर
10 लाख मे कार लेने का कारण पूछा।
उसने बताया कि ये कार 10 सालों से हर साल ऐक्सिडेंट करती है और हर साल ऐक्सिडेंट मे बीबी ही मरती है।पति को खरोंच तक नही आती। हर नीलामी मे इसकी कीमत बढती गई।ऐकसीडेंट मे बीबी के मरने के बाद यह कार पहले की कीमत से भी ज्यादे मे ही बिकती है।यहां जितने लोग भी इस कार की बोली लगा रहे हैं वे सब अपनी अपनी पत्नियों से छुटकारा पाना चाहते हैं। मैने उससे कहा ---"आपका काम हो जाय तो ये कार 11 लाख मे मुझे दे दिजियेगा।मेरी कुंडली मे कार के ऐकसीडेंट से मेरे मरने का ही योग है।"
ये फेसबुक पढने वाले किसी मित्र को अगर कार की जरूरत होगी तो मेरे मरने के बाद मेरे घरवालों से संपर्क करेगा।लेकिन 12 लाख देना होगा।यह मैने वसीयत मे भी लिख दिया है।

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जगदीश खेतान 
गोरखपुर,उत्तर प्रदेश

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