ब्राह्मण सामाजिक दृश्टिकोण

 
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    सामाजिक दृश्टिकोण से कोई जात-पात नहीं होता सामान्यतः यह वर्ग विभाजन है अलग अलग कार्यो के अंतर्गत बाँट दिया गया है- ब्राह्मण,छत्रिय,वैस्य और सूद्र! और जिस मकसद से यह किया गया था बेहद ही संसारिक कार्यभार को देखते हुए उत्तम व्यवस्था था ! लोग अपने कार्यो को लेकर कभी ना नुकुर और ऊंच-नीच की कोई भावना नहीं रखते थे ! मिलजुलकर इस प्रथा को अपनाये और निभाए ! पर आधुनिकता में गालियां दो आरोप लगाओं की इन्होने हमारे साथ गलत किया है और भावुकता बनाकर अपना काम बना लो! सब अपनी नाकामी को दूसरों पर मढ़कर खुद बेगुनाह मासूम होने दिखावे का चलन चल रहा है !

   रामदेव के जीवन पर एक धारावाहिक बनाया गया है ! उसमे यह दिखाया गया है की समाज के अन्य वर्ग खासकर ब्राह्मणों ने उनपर बहुत अन्याय किया था ! जबकि ऐसा कुछ ना था ना है और ना कभी होगा ! उन्होंने बयान देते हुए ब्राह्मण वर्ग पर तंज कसते हुए कहा कोई जन्म से ब्राहण नहीं होता ! ब्राह्मणों का कोई औचित्य नहीं है ! फिर रामदेव क्यों ब्राह्मणों का ज्ञान-ध्यान कर रहे है ! भगवान् और संतो के नाम पर व्यापार कर रहे है ! इसपर भी व्यापर नहीं जमा तो जात-पात की दुर्भावना फैला रहे है ! एक अच्छे खासे व्यापारी की तरह सारे जालसाज़ तिकड़म लगा रहे है विज्ञापन कर रहे है !

  अब यह क्या बात हुयी हर कोई जन्मजात यादव ,चर्मकार,लोहार,प्रजापति ,मुसलमान ,सिक्ख ,ईसाई आदि वर्ग फिर कैसे कोई हो सकता है ! उनपर क्यों नहीं ऐसे बात उठती है ! सिर्फ ब्राह्मण वर्ग पर ही ऐसा तोह क्यों लगाया जाता है की ब्राह्मणों ने सबपर दुर्व्यवहार ,अन्याय किया है ! सारे वर्गों को छोड़कर सब ठेकेदारी ब्राह्मणों ने कब लिया और ऐसा हुआ कब किस युग में हुआ यह तो कोई बताता ही नहीं !

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   असल बात तो ये है ब्राहम्णो का कोई ना व्यापार था ना कोई और जीवन जीने का उपयुक्त साधन वह तो खुद गरीबी में जीने को मजबूर था !और वर्गों का जिनका व्यापार होता था उनसे पांच घर से भिक्षा मांगकर अपना घर परिवार का पालन पोषण करते थे! उसपर भी कई नियमो के अंतर्गत समाज को शिक्षा-दिक्षा का भार जिम्मेदारी ऐसी अवस्था में निभाया! शिक्षा -दिक्षा युवाओं को उद्यमी बनाना और समाजहित में कुछ करने के योग्य बनाना यही इनका कार्यभार था! समाज के सारे संसकार,परम्परा,सभ्यता आदि ब्राह्मणों के निर्धारण में हुआ करता था ! पूजा कर्म भक्ति भावना ज्योतिषी अध्यात्म आदि के लिए ब्राहण ही कार्यरत हुआ करते थे ! और इन सब व्यवहारों से किसी का क्या अनभल (नुक्सान) होगा!


   अब भविष्य के बदलाव में सारे वर्गों व्यापारियों का व्यवसाय उनके निकम्मेपन की वजह से बिगड़ता चला गया ! सब खुद ही अपने अवस्थाओं के जिम्मेदार है, इसपर ब्राह्मणो का क्या दोष ! चर्मकार वर्गों को लेकर एक बड़ी झूठी बात बताई जाती है की इनका बहुत अपमान किया गया! इनको अछूत माना गया था समाज से अलग किया गया था! जबकि इसका सही कारण है , चमड़े का काम करने की वजह से इस वर्ग के लोगो में कुछ लापरवाही के कारण चर्मरोग(एग्ज़ीमा/सायरोसिस) आदि हो जाता था ! जो छुआ-छूत जैसी बिमारी है ! और भी ऐसी बीमारियां थी जिनका कोई इलाज उस समय नहीं था ! तो और कोई उपाय भी नहीं था ! बचने कके लिए लोगो के पास भी इनसे दूरी बनाये रखा जाये ! और ऐसा सिर्फ ब्राह्मणों ने ही नहीं अन्य वर्गो ने भी किया था ! फिर उनको इसका जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाता है!

 
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 इन्ही वजहों को लेकर आज भारत में किसी भी वर्ग का जीवन ना सामान्य और ना ही समान है !देश के बारे में नहीं सबको अपनी फ़िक्र ज्यादा पड़ी है ! किसको कैसे तोह-मोह लगाकर छला जाये ! कैसे भावनावो का खेल खेलकर लूट लिया जाये कितनो को ! और इसका पूरा फायदा कोई तीसरा उठा रहा है ! हम सभी में ईर्ष्या द्वेष की भावना लाग बाज में उलझाकर ! इन्ही कारणों से कितनो की राजनीति ही नहीं व्यापार भी चल रहा है ! आरक्षण जैसे मुद्दे लेकर देश के युवाओं को अप्रशिक्षित ,बुद्धिहीन और अपाहिज बनाने का कार्य किया गया है ! इससे मानवता ही नहीं समाज और देश का भी अनहित है! जात-पात छोड़िये और मिलजुल कर मानवता ,इंसानियत अपनाइये!

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Arvind Tiwari
Allahabad 


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