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चलो मोहब्बत की बात करते है !
इशारो से ही शुरुवात करते है!!
हमसे तुम जीत नही सकते !
हार गए तो सर कुर्बान करते है !!
जहाँ में बड़ा रुतबा है मेरा !
चोर उच्चके भी सलाम करते है !!
बेवफ़ाई की गलियो मे तुम मेरा नाम पूछना !
नाम पर ही सदके लोग बार बार करते है !!
इतना तो जब है किसी की हमे चाहत ही ना मिली !
फिर भी चाहतो का हम एहतराम करते है !!
जाने वालो को कभी बढ़कर रोका ही नही !
सोचा उन्के ख़्वाब वहीं उनका इंतजार करते है !!
ये वक्त ही है जो धोखा दिला देता है !
वर्ना अल्लाह के बन्दे कब किसी से फ़रेब करते है !!
इश्क जिसने किया वो बेवफा हो ही नही सकता !
हम तो खुदा की खुदाई में इतना यकीं करते है !!
मजबूरियां ही है जो दिल को तोड़ देती है !
टुटे हुए दिल यूँ उनकी सलामती की दुआ करते है !!
इश्क को तो बदनाम कर दिया कुछ राहगीरों ने !
जो आज इस महफ़िल कल उस महफ़िल रातगुजार करते है !!
ईश्क़ की आग जल जाए तो बुझ नही सकती !
जो बुझ जाए उसे कहाँ जमाने सलाम करते है !!
कुछ लोग कहते है बड़ा अच्छा लिखता हूँ मैं !
और कुछ हुस्न की अदाओं पे सवाल करते है !!
मुझसे कहते है इस कलाम में मेरा क्या है !
शुक्र उनका करो जो इस दिल मे तेरे वास करते है !!
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प्रदीप सुमनाक्षर
Delhi ,India