" मूसाफिर "
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स्निग्धा रूद्रा
धनबाद
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जिंदगी एक राह है,
न पूरी होने वाली चाह है !
जब तक सांस है तन मे,
न रूकने वाली परवाज है !!
हम पथिक इस जीवन के,
चलना अपना कम है !
बाधा आए विपत्ती आए,
मिलने मंजिल तत्काल है !!
जीना तो सबका दूस्वार है,
आँखों मे स्वप्न का ताज है!
जीत उसी की अटल है प्यारे,
जिसमें निंरतर बढ़ने की चाह है !!
चल मूसाफिर शूल के पथ पर,
हौसला की न हार है !
क्या करेगा शूल चुभ कर,
हम पथिक बिदांस है !!
मुस्कुराकर आँधियो से टकराएगे,
पथ पर चिन्ह बनाकर !
आगे बढ़ते जाएगे,
पाँव की पीड़ा है क्षणिक भर !!
आँसमा छू आएगे....!!
**************स्निग्धा रूद्रा
धनबाद