भारत के वीर सपूत ....

रामचरितमानस की बात करे तो तुलसीदास जी बहुत खूब तरीके से बताये है ..

* सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस!
  राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास !!

भावार्थ:-मंत्री, वैद्य और गुरु- ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से हित की बात न कहकर प्रिय बोलते हैं , तो देश ,शरीर और धर्म- इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है॥

आज के सरकारी कर्ताधर्ता और रोजमर्रा के दिनचर्या में कुछ ऐसा ही हो रखा है जिसकी वजह से हम सब वेदना से जब तब आहत होते रहते है ! सरकार ,सरकारी नौकरी ,सरकारी तंत्र आदि कितने भ्रस्टाचार की देन है, बहुत तो जाने माने भ्रस्ट है और कितने मजबूर है की वो कुछ बोल भी नहीं सकते आखिर बात परिवार के भरण पोषण का जो है ! बहुत सारे सरकारी अभियान योजना एक चुनावी प्रलोभन ही रह जाते है ,जमीनी हकीकत होने से बिलकुल परे ! हर बार नए नए वादे नयी सरकार पर सरकार बन जाने के बाद फिर वही घिसा-पीटा राग ..ऐसा है तो वैसा है ,ये हुआ तो वो हुआ !

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 _यह तस्वीर मुझे इंस्टाग्राम पर मिला देखकर किसी का भी मन पीड़ा से भर जाए ! और यह पहली दफा नहीं है ऐसे कितने विडिओ फोटो मिल चुके पर उनको चुनावी या विपक्ष का धोखा बोलकर भूलवा दिया जाता है ! इन लोगो ने तस्वीर में अपनी पहचान छुपा ली है डर के मारे कही हम इन चमरगिद्धो के नजर में ना  आ जाये और ये हमें नोच खाये ! फिर भी बहुत साहस कर ये तस्वीर पोस्ट किया गया है ताकि सब देख ले इनका कितना सम्मान होता है,जब लाइव रहते है और जब नहीं रहते है कितना फर्क किया जाता है ! अगर आज की मीडिआ ईमानदार होती तो जरूर ये साहस उचित होता पर दोगलेपन में सबसे माहिर पैसे के पुजारी यही लोग है,सबसे पहले यही अपने जाल में उलझा के मार देते है !

हम कभी हारकर घर आते तो घर वाले अगले दिन से हमारे सेहत का ख़याल रखने लगते है की अगली बार जीत कर आये ! और ये क्या जिनको हमेंशा जीतना ही होगा ,मार की जगह जान देना होगा ,सीने पर बम ,गोली झेलना है उनके लिए यह क्या किया जा रहा है ! ये आवाज भी उठाये तो कैसे उल्टा इनको ससपेंड कर दिया जाता है ,तरह तरह के नियम सुना के सजा ( दिनभर खटाना,छुट्टी नहीं देना ,तनख्वाह काट लेना ) दे दी जाती है कैम्प के अंदर ! ये प्रताड़ना इन २०-२२ वर्ष के स्वतंत्र भारत के नौजवानो को मजबूरन सहना पड़ता है देश की भावना और अपनी रोजीरोटी के लिए ! बहार से लेकर घर के अंदर तक बसे दोगलो से पहले दो दो हाथ करने वाले इन वीर जवानो को पत्थर जैसा दिल रखकर जीना पड़ता है ! अपने परिवार घर समाज को छोड़कर सालो साल सरहद पर डटे देश की सुरक्षा करते है और बदले में इनको क्या मिलता है सिर्फ अफ़सोस भरा सहानुभूति जनता से लेकर जनार्दन तक ! आपको यह भी बता दे प्राकृतिक आपदाएं आने पर इनकी महीने भर की तनख्वाह तक देश के सेवा के नाम पर सबसे पहले काट ली जाती है ! इनक्रीमेन्ट /इंसेंटिव ऐसा कुछ भी नहीं जो है उसमे भी कई तरह के नौटंकी ऊपर से ओवर ड्यूटी भी जब तब लगा दी जाती है !

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यह किसी पार्टी विशेष के लिए मैं नहीं कह सकता बल्कि हमारी पूरी की पूरी सैधानिक सरकारी तंत्र ही बहुत भ्रस्ट और बेढंग बन चुकी है ! किसी बड़े नेता.अभिनेता,व्यापारी,सरकारी अफसर आदि क्यों नहीं अपने बच्चो को भर्ती करते सेना में सिर्फ अपना वर्चस्व और प्रमोशन सेना के नाम पर करना है ! क्यों नहीं सेना से पहले इनके तनख्वाह काटे जाते है ! सेना जल हेन तेन सब सरकारी जमीन सरकारी सुविधा नाम लेबल सेना का और जेब इन लोगो का ! इतना प्रलोभन व्यापार हमारे भावनाओ के साथ किया जाता है पर अंदर की बात का हमें भनक तक नहीं लगने पाता !

ये हमारे गली मोहल्ले गांव के बच्चे है जो हर रोज शहीद कर दिए जा रहे है,और शहादत के नाम पर मुहसुपारस सरकार का " जय जवान " या "अमर जवान"!भोलेभाले युवाओं को अपनी जबरदस्ती थोपकर मीठे बोल में फुसलाकर कितना ठग रहे है ये लोग ! जिन्हे मालूम है उनमे साहस भी नहीं की वो सच कह सके!
 हमारा भारत देश आज इनकी ही देख रेख में सुरक्षित है तो सरकारी सुविधाओं के असली हकदार भी यही है ,खाने-पीने,रहने,रुपया-पैसा हर चीज पर इनका पहला अधिकार होना चाहिए ! भारत के गौरव में इन व्यापार ,सरकार ,खेलकूद से कही ज्यादा आज भी सबसे महत्वपूर्ण है जवानो और किसानो का योगदान !
लेकिन सरकारी ,नेता ,परेता,अफसरों के दीन=हिन् भावनाओ ने वर्त्तमान समय में इनके अस्तित्व को बिल्कुल ही खत्म कर दिया है ! ये भले सामान्य दिखते है ,बहादुर दिखते है, समझदार दिखते है लेकिन इनकी आत्मा हमेंशा ऐसे दुर्व्यवहारों से अपमानित होकर ज़िंदा रहती है !
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ARVIND TIWARI
ALLAHABAD 

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