दरिया बनकर क्या फ़ायदा ,
उसे तो समुद्र में मिल जाना पड़ता है!
जंग में बार बार गिरकर उठ जाना पड़ता है !
शीशे से दिल को भी टूटकर जुड़ जाना पड़ता है!
ख्वाबों को हकीकत नहीं ,
हकीकत को ख्वाब बनाना पड़ता है!
रिश्ते इतने सस्ते नहीं ,
खुद बिक जाना पड़ता है!
रोशन होने से पहले बुझ जाना पड़ता है!
बदलाव की फिजां में ‘
खुद को खुद’ बनाये रखना पड़ता है!
जब सभी कहें ‘हाँ ‘तो ”
ना को अपनाना पड़ता है!
हथियार ना हों तो भी निहथा लड़ जाना पड़ता है!
अक्सर गैरों को सुख और अपनों को दुःख देना पड़ता है
जो रह नहीं सकते हमारे बिन,
उनके साथ भी निष्ठुर बनना पड़ता है!
अंधेरनगरी के कानून को तोड़ जाना पड़ता है!
ना चाहकर भी दोस्तों से बिछड़ जाना पड़ता है!
महानगरों में आकर भी दिल में
गाँव बसाए रखना पड़ता है!
अपनों की महफिल में थोडा
ज्यादा ‘पीना’ पड़ता है!
दुनिया में मुफ्त कुछ भी नहीं,
कीमत को चुकाना पड़ता है!
अमृत की खोज में नीलकंठ बनना पड़ता है!
चुनना नहीं बल्कि बनाना पड़ता है अपना रास्ता !!
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
उसे तो समुद्र में मिल जाना पड़ता है!
जंग में बार बार गिरकर उठ जाना पड़ता है !
शीशे से दिल को भी टूटकर जुड़ जाना पड़ता है!
ख्वाबों को हकीकत नहीं ,
हकीकत को ख्वाब बनाना पड़ता है!
रिश्ते इतने सस्ते नहीं ,
खुद बिक जाना पड़ता है!
रोशन होने से पहले बुझ जाना पड़ता है!
बदलाव की फिजां में ‘
खुद को खुद’ बनाये रखना पड़ता है!
जब सभी कहें ‘हाँ ‘तो ”
ना को अपनाना पड़ता है!
हथियार ना हों तो भी निहथा लड़ जाना पड़ता है!
अक्सर गैरों को सुख और अपनों को दुःख देना पड़ता है
जो रह नहीं सकते हमारे बिन,
उनके साथ भी निष्ठुर बनना पड़ता है!
अंधेरनगरी के कानून को तोड़ जाना पड़ता है!
ना चाहकर भी दोस्तों से बिछड़ जाना पड़ता है!
महानगरों में आकर भी दिल में
गाँव बसाए रखना पड़ता है!
अपनों की महफिल में थोडा
ज्यादा ‘पीना’ पड़ता है!
दुनिया में मुफ्त कुछ भी नहीं,
कीमत को चुकाना पड़ता है!
अमृत की खोज में नीलकंठ बनना पड़ता है!
चुनना नहीं बल्कि बनाना पड़ता है अपना रास्ता !!
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>