यह औरत चरित्रहीन है

एक बार गौतम बुद्ध को उनके उपदेशों से प्रभावित हो एक स्त्री ने उन्हें अपने घर खाने का निमंत्रण दिया । गौतम बुद्ध निमंत्रण स्वीकार कर उस औरत के घर भोजन के लिए चल पड़े । रास्ते में जब लोगों ने उस स्त्री के साथ बुद्ध को देखा तो, एक आदमी उनके पास आया और बोला कि आप इस औरत के साथ कैसे? गौतम बुद्ध ने बताया कि वह इस औरत के निमंत्रण पर उसके घर भोजन के लिए जा रहे हैं, यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि आप इस औरत के घर न जाऐं आप की अत्यंत बदनामी होगी क्योंकि यह औरत चरित्रहीन है।

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    इसके बावजूद बुद्ध न रुके, कुछ ही देर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। आनन फानन में गांव का मुखिया दौडता हुआ आ गया और गौतम बुद्ध से उस औरत के यहां न जाने का अनुरोध करने लगा। विवाद होता देख बुद्ध ने सबको शांत रहने को कहा, फिर मुस्कराते हुए मुखिया का एक हाथ अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया और बोले क्या अब तुम ताली बजा सकते हो? मुखिया बोला एक हाथ से भला कैसे ताली बजेगी । इस पर बुद्ध मुस्कुराते हुए बोले जैसे एक हाथ से ताली नहीं बज सकती तो अकेली स्त्री कैसे चरित्रहीन*हो सकती है जब तक कि एक पुरुष उसे *चरित्रहीन बनने पर बाध्य न करे। चरित्रहीन पुरुष ही एक स्त्री को चरित्रहीन बनाने में जिम्मेदार है। यह कैसी विडम्बना है कि इस कथित " पुरुष प्रधान समाज के अभिमान में ये पुरुष अपनी झूठी शान के लिए स्त्री को केवल अपने उपभोग की वस्तु भर समझता है और भूल जाता है कि जिस स्त्री को वह चरित्रहीन कह रहा है उसका जिम्मेदार वह स्वयं है।

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Abhshek Shukla

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