मन का स्टोर रूम....

MJImage#01
हमारी रूह का 
वो काला गहराया
स्टोर रूम 
अन्तर्मन की गहराईयों 
में खड़ा
पुरानी कड़वी यादों
से भरा, जहां 
सन्नाटा और शोर 
अजब साहचर्य में बसे
कई धुंधली यादों को
वक्त की रेत से 
दफ्न किए हैं
जो जागने लगती हैं
यदा कदा भावनाओं के
चक्रवातों से
जो उड़ा रेत को मानो
जीवित कर देते हैं उन्हें
और वो कुरूप सी
अपना विकराल रूप लिए
सामने आ खड़ी हो जाती हैं
ऐसे जैसे मानो 
कल ही की बात हो 
और उनकी जीवंतता से डर 
तत्क्षण बंद कर देते हैं हम
दरवाज़ा
और फिर से पसर जाता है 
मात्र सन्नाटा
उन गहराइयों ‌में
उस गहराते काले
स्टोर रूम में ।।

*****************










Niharika Sharma
Moradabad,India

Post a Comment

Previous Post Next Post