खाली बेकसूरी बा इहाँ...

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साँच पर बा आँच, खाली जी हजूरी बा इहाँ  !
चाहे जइसे होखे परिवर्तन जरूरी बा इहाँ  !!

पिस रहल बा धर्म के आ जाति के चक्की में लोग !
आदमी से आदमी में , आजो दूरी बा इहाँ !!

आँक लीं कतना ऊँचाई पर,सियासत के बा गाँव !
मुँह में बाटे राम बगल में, सब छूरी बा इहाँ !!

का भला नइखे कि छछनीं,हमरा जब संतोष बा !
जिन्दगी भर के इहे,अरजल मजूरी बा इहाँ !!

आदमी के रूप-रेखा,नेत बा जौहर के साथ !
बस इहे बा जुर्म, खाली बेकसूरी बा इहाँ !!

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#Dr_Jauhar_Safiyabadi 
 Bihaar, India

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