इसलिए बूढ़े लगते हो तुम मुझे |
इसलिए नहीं की तुम्हारे बाल सफ़ेद हो गए है,
या चेहरे पर झाईयां आ गई है,
या तुम कभी कभी सठियाई हुई बातें करते हो,
या अब तुम्हारे पास मेरे लिए ज़्यादा वक्त होता है...
इसलिए भी नहीं कि अब तुम झगड़ा कम करते हैं,
या मेरी कमियां ज़रा कम निकालते हो,
या अब तुम्हारी नज़र सामने वाली खिड़की पर नहीं जाती,
या अब तुम परफ्यूम की पूरी बॉटल नहीं उड़ेलते....
बल्कि इसलिए बूढ़े लगते हो तुम मुझे ,
क्यों की अब तुम आशा से नहीं उदासी से बात करते हो,
तुम्हारा हाथ भले ही मेरे हाथों में हो, पर उसमे पहले की तरह हौसला नहीं होता,
तुम्हारे सफ़ेद बाल तुम्हे इतने फीके लगते हैं, की उसमे लिपटी अनुभव की चमक भी तुम्हे नहीं दिखती,
बीते हुए पल तुम्हे रंगीन लगते हैं, पर आने वाले पल में तुम्हे नए रंग नहीं दिखते
मन से दौड़ने वाला कभी कदमो से नहीं थकता
बस इसलिए बूढ़े लगते हो तुम मुझे.....
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RJ Shilpa Rathi
Mumbai , Maharashtra