राधा कुछ यूँ कहे |
कान्हा
तुम यूं अधूरे-अधूरे क्यूं आए
मैने तो चाहा था , साथ ये अंत तक
पर तुम मझधार तक निभाए !!
वो तेरी बांसुरी की धुन सुननी थी
जीवन भर मुझको
पर आज तेरे दरस को भी
नैना पथराए
कान्हा
तुम यूं अधूरे-अधूरे क्यूं आए
युगों तक भले ही चले ये प्रेम कहानी
भले जग जितना राधे-राधे गाए
मुझको जचता नहीं प्रेयसी का
ये साथ अधूरा सा
साथ रूक्मिणी
सा मुझको भाए
कान्हा
तुम यूं अधूरे-अधूरे क्यूं आए
वो शरारतें , अठखेलियां
बांसुरी छीनकर दौड़ना बंद कर दूंगी
तुमको ग़र ये न भाए
तुम आ जाओ लेकर वो साथ अनंत
अधूरा हमसे, जिया न जाए
कान्हा
तुम यूं अधूरे-अधूरे क्यूं आए !!
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निहारिका शर्मा
मोरादाबाद , उत्तर प्रदेश
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