उभरते तकनीकों के हानिकारक परिणाम |
एनटीपी के सीनियर वैज्ञानिक जॉन बुचर(John Bucher) ने कहा “अध्ययनों में इस्तेमाल किए गए एक्सपोजर की तुलना सीधे उन एक्सपोजर से नहीं की जा सकती है जो सेल फोन का उपयोग करते समय सामान्य व्यक्ति अनुभव करता है। लेकिन स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के तरीके जैसे की नेटवर्क स्तर, इस्तेमाल की अवधि, स्मार्टफोन से दूरी ये सभी कारक भी प्रभावों पर असर डालता है। हमनें शोध में प्रत्यक्ष रूप से पाया है की रेडियो आवृति विकरण चूहों के लिए घातक साबित होता है।”
एनटीपी शोधकर्ता पिछले 10 वर्षों से 2G, 3G और 4G सेलफोन में इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क क्षमता और रेडियो आवृति विकरण के संपर्क में आने वाले जानवरों में स्वास्थ्य प्रभावों का अध्ययन कर रहे थे। हालांकि 2G और 3G के मानक निर्धारित किया गया है और आज भी इन मानकों का पालन किया जाता है लेकिन शोधकर्ता मानते है की इन मानकों का फिर से आंकलन किया जाना चाहिए।
एनटीपी शोधकर्ताओं ने इस शोध अध्ययन से मिलने वाले सबूत को संक्षेप में सारांशित करने के लिए चार श्रेणियों में बाँट दिया है। यहाँ स्पस्ट उल्लेख मिलता है की किस श्रेणी की विकर्रण कैंसर का कारण बन सकता है।
एक अन्य शोधकर्ता वाइड(Wyde) ने कहा “इन शोध अध्ययन में वाई-फाई या 5G नेटवर्क के लिए उपयोग किए जाने वाले रेडियो आवृति विकरण को शामिल नही किया गया है न ही किसी प्रकार की जांच इन नेटवर्को की गयी है।
5G एक उभरती हुई तकनीक है जिसे अभी तक वास्तव में परिभाषित नहीं किया गया है। जो हम वर्तमान में समझते है वास्तविक परिणाम उससे नाटकीय रूप से भिन्न भी हो सकते है।”
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पल्लवी कुमारी
बोधगया , इंडिया