क्या मादा को प्रजनन के लिए नर की आवश्यकता जरुरी है

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क्या मादा को प्रजनन के लिए नर की आवश्यकता जरुरी है ? ज्यादातर जीवों के लिए आपका जवाब प्राकृतिक रूप से हाँ ही होगा लेकिन नयी तकनीक आपके जवाब को गलत साबित कर सकती है। अनुवांशिक संपादन और स्टेम सेल पर लगातार हो रहे शोध ने एक बार फिर CRISPR Cas9 तकनीक पर उठने वाले विवादों को हवा दे दिया है। चीन के शोधकर्ताओं ने घोषणा की है कि उन्होंने सफलतापूर्वक स्वस्थ शिशु चूहों का जन्म दो मादा चूहों से किया है और इस उत्पति में कोई नर चूहा का कोई योगदान नहीं है। यह बिना किसी संदेह के स्तनपायी प्रजनन की दुनिया में एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा सकती है लेकिन कुछ लोग इसके पीछे नैतिकता, प्राकृतिक नियमो से खिलवाड़ और सुरक्षा पर सवाल उठा रहे हैं।

चीनी एकेडमी ऑफ साइंसेज(Chinese Academy of Sciences) के शोधकर्ताओं ने साइंस जर्नल सेल स्टेम सेल(Cell Stem Cell) में प्रकाशित अपने शोध विवरण में कहा है की दोनों शिशु चूहे बिलकुल स्वस्थ है। शोधकर्ताओं ने इस प्रयोग के लिए 210 बिमेट्रनल भ्रूणों(Bimaternal embryo) का उपयोग किया था जिनमें से केवल 2 भ्रूण ही जीवित बच पाये थे। इस दर्दनाक शोध में चीनी शोधकर्ताओं ने बहुत सारे प्रयोग किये जिसमें उनकी कड़ी मेहनत जेनेटिक इंजीनियरिंग में अपनी महत्वाकांक्षा साबित करने पर टिकी थी। 

द्विपक्षीय मादा शिशुओं को बनाने के लिए, शोधकर्ताओं ने अंडे को एक मादा चूहे से लिया और इसे दूसरे मादा से एक हैप्लोइड भ्रूण स्टेम सेल(haploid embryonic stem cell) के साथ जोड़ दिया। उन्होंने अंडे और हैप्लोइड सेल को एक साथ काम करने के लिए, नये अनुवांशिक निर्देश CRISPR Cas9 तकनीक की मदद से दी। नये अनुवांशिक निर्देश देने से पहले शोधकर्ताओं ने पुराने अनुवांशिक निर्देशों को पूरी तरह से हटा दिया था। पुराने अनुवांशिक निर्देशों को हटाने की प्रक्रिया भी तीन अलग-अलग चरण में CRISPR Cas9 जीन संपादन तकनीक के उपयोग से पूरा किया गया। 


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चीनी शोधकर्ताओं ने न केवल मादा-मादा चूहों से शिशु विकसित करने का प्रयास किया बल्कि नर-नर चूहों से भी द्विपक्षीय नर शिशुओं को विकसित करने का प्रयास किया था। दो नर चूहों पर की गयी इस प्रक्रिया ने कई जटिल समस्या को उत्तपन्न कर दिया इसलिए शोधकर्ताओं को आशाजनक सफलता नही मिल पायी। इस जटिल संस्करण से शिशु चूहों का भ्रूण तो विकसित हो पाया लेकिन शिशु चूहे जन्म के कुछ दिन बाद ही मर गए। अब चीनी शोधकर्ता मछली, सरीसृप, और उभयचर एक लिंग जीव के साथ पुन: इस शोध को करने की योजना बना रहे है हालांकि स्तनधारियों पर ऐसे शोध करने की उनकी योजना अभी नही है। इस शोध ने यह तो बता दिया है की समान-सेक्स स्तनपायी प्रजनन के लिए चुनौतियाँ तो है लेकिन अनुवांशिक संपादन और स्टेम कोशिकाओं के उपयोग के माध्यम से इन चुनौतियों को खारिज किया जा सकता है। 

शोधकर्ताओं द्वारा आनुवंशिक संपादन के व्यापक उपयोग ने इस तकनीक की नैतिकता के संबंध में कई गंभीर  सवाल खड़े कर दिए है। वैसे भी CRISPR Cas9 जीन संपादन तकनीक विवादों से घिरा रहा है, इस विवाद की बड़ी वजह "डिजाइनर शिशु" विकसित करने की रही है। “डिजाइनर शिशु" वे बच्चे कहलाते है जिसे माता-पिता अपने इच्छानुसार चुन सकते है और अपने बच्चे के अनुवांशिक गुणों का चयन अपने अनुसार कर सकते है। बहुत सारे वैज्ञानिकों ने इस तरह के परीक्षणों और प्रयोगों पर अपनी चेतावनी जारी की है क्योंकि मानव जीन को संपादित करने पर उनसे पड़ने वाला प्रभाव का दायरा भविष्य की पीढ़ी पर हो सकता है। हालांकि समान-सेक्स प्रजनन प्रक्रिया अभी भी इंसानों पर इस्तेमाल नही की गयी है और इस तकनीक को इंसानो के लिए लंबा सफर तय करना है। शोधकर्ताओं का कहना है की इस तकनीक ने भविष्य के लिए कई संभावनाओं के दरवाजों को खोल दिया हैं।

इस शोध पत्र के प्रमुख लेखक वीई ली(Wei Li) कहते है की “यह शोध हमें दिखाता है कि क्या संभव है और कैसे संभव है। दो समान-सेक्स प्रजनन से उत्तपन्न जीवों में होनेवाले दोषों को दूर किया जा सकता है और स्तनधारियों में द्विपक्षीय प्रजनन बाधाओं को भी संशोधित किया जा सकता है। हमने कुछ सबसे महत्वपूर्ण छिपे हुए क्षेत्रों को भी उजागर किया है जो चूहों के विकास को समान लिंग वाले माता-पिता के द्वारा बाधित किया जाता है। यह शोध जीनोमिक इम्प्रिंटिंग और पशु क्लोनिंग(genomic imprinting and animal cloning) के अध्ययन के लिए भी दिलचस्प हैं।"

एक प्रयोगशाला में समान लिंग वाले चूहों से बच्चों का निर्माण बेहद अभिनव है लेकिन आप चिंता न करें। शोधकर्ताओं ने भरोसा दिलाया है की मानवो पर ऐसे किसी प्रयोग करने का उनका कोई विचार नही है। प्राकृतिक रूप से नर और मादा मिलकर ही प्रजनन के प्रथम हक़दार है।

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       पल्लवी कुमारी 
        मगध , इंडिया 

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