ये देश तो वही है पर परिवेश में

मातृभूमि पर बलिदानी निस्वार्थ समर्पित
ये देश तो वही है पर परिवेश में, 
आमुल -चुल परिवर्तन नजर आता है !
जहाँ जलात थे विदेशी वस्तुओं की होली को,
अब देशवासियों को उन्ही से लगाव होने लगा है !

मातृभूमि पर बलिदानी निस्वार्थ समर्पित #नेता को,
सिर्फ जयन्ती और पुण्यतिथि को स्मर्तव्य समझते है !
प्रेरक आदर्श अक्ष और  पदचिह्नों पर चलने वालों का,
अक्सर सफेदपोशी में गुढ धुमिलता उजागर होती है !

जनहित में सर्वोपरि क्रियान्वयन होता है गणतंत्र में,
चयनित  शासनाधिकारी भी छल का मकड़ जाल बिछाता है !
यु तो स्वतंत्रता हासिल हो चुकी है लिखित संविधान में,
मानसिकता से पाश्चात्यीकरण अनुगामी परतंत्र सा लगता है !

घोषित राष्ट्रीय ध्वजांकित समाहृत प्रत्येक रंग से,
तिरंगा अपनी गौरव गाथा को अविराम सुनाता है !
अनगिनत  अनामांकित देशभक्त  भी स्वसमर्पण से,
बनकर नीवं की ईंट  स्वतंत्रता का हमें अमुल्य उपहार दे गये है !

संघर्षशीलता से प्राप्त इस बेशकीमती धरोहर को,
नतमस्तक होकर हमें हिये में अक्षुण्ण संजोये रखना है !
उन प्रेरणापुंज महान विभुतियों की स्मृतियों को,
भावी पीढी में विस्मरणीय कर गर्व अनुभूत कराना है !
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        सीमा लोहिया 
     झुंझूनू (राजस्थान) 

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