रोज काल का ग्रास बन रही आसिफा,
फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा ।
देश चल रहा नफरत से ही,
फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।
वंचित हैं जो अधिकार से अपने,
उनका मैं अधिकार लिखूँगा ।
दुष्टों को मारा जाता है जिससे,
अब मैं वही हथियार लिखूँगा ।
रोज जवान मर रहे सीमा पर,
कब तक मैं उनकी बली सहूँगा ।
मर रही जनता रोज देश की,
कब तक मैं ये अत्याचार सहूँगा ।
आसिफा,ट्विंकल ना जाने कौन-कौन ?
अब इनकी चित्कार लिखूँगा ।
हाँ, देश चल रहा नफरत से ही
फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।
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![Avatar](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNubJaCfjMGdUBRG4_6izg3l07cZmeT72I9ORZ9bA_cG34Z3lHore1kO60ElQV3YjzE2vI5iWw8n78cuTQ3d4sPHevpI3HsKc_408OUvODdk6koC7hZuooEwQrpdjT15G7z5Doql4YS8Yu/s1600/Kavi+Sauraav+.jpg)
सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)
मुजफ्फरपुर, बिहार
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फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा |
फिर कैसे मैं श्रृंगार लिखूँगा ।
देश चल रहा नफरत से ही,
फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।
वंचित हैं जो अधिकार से अपने,
उनका मैं अधिकार लिखूँगा ।
दुष्टों को मारा जाता है जिससे,
अब मैं वही हथियार लिखूँगा ।
रोज जवान मर रहे सीमा पर,
कब तक मैं उनकी बली सहूँगा ।
मर रही जनता रोज देश की,
कब तक मैं ये अत्याचार सहूँगा ।
आसिफा,ट्विंकल ना जाने कौन-कौन ?
अब इनकी चित्कार लिखूँगा ।
हाँ, देश चल रहा नफरत से ही
फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।
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सौरभ कुमार ठाकुर (बालकवि एवं लेखक)
मुजफ्फरपुर, बिहार