नव्या का बालमानस चाइल्ड सायकोलोजी

नव्या का बालमानस चाइल्ड सायकोलोजी
नव्या के जन्म के आठ साल बाद कविता ने अंश को जन्म दिया था सास-ससुर की पोते की चाह पूरी हुई, "ओर ये परिवार बेटे को खास अहमियत देने वालों में से एक था",

तो घर में सब कुछ ज़्यादा ही खुश थे नव्या अब तक आठ साल से एकचक्री शासन कर रही थी सबके लाड़ प्यार की हकदार, पर अब घर के सारे सदस्यों का ध्यान नव्या से हटकर अंश की ओर ही ज़्यादा लगा रहता था।
धीरे-धीरे अंश बड़ा हो रहा था सबकी आँखों का तारा पर नव्या की आँखों में शूल सा खटक रहा था, उसे अंश एक आँख भी नहीं भाता था।

अंश के लिए नये खिलौने, कपड़े जब आते थे तो नव्या के मन में हलचल उठती थी घर के लोग नव्या के बालमानस से अन्जान नव्या के प्रति बेदरकार से अंश की ही परवरिश में अंधे थे।
नव्या के मासूम मन में अब कुछ षडयंत्र जन्म ले रहे थे घरवालों की नज़रों से छुपकर नव्या कभी अंश के खिलौने तोड़ देती, तो कभी अंश के कपडों पर कातर चला देती, कभी अंश को चिमटी काट लेती, तो कभी दांतों से काट लेती थी हंसती, खेलती, चहकती गुड़िया सी नव्या अब चुप सी हो गई थी।

घर वाले अब भी बेखबर से नव्या को नज़र अंदाज़ करते रहे नव्या अंदर ही अंदर छोटे से अंतर्मन से द्वंद्व से घिरे अब अजीब हरकतें करने लगी ताकि घरवालों का ध्यान अपनी ओर खिंच सके, कभी रसोई घर में कुछ तोड़ देती कभी खाने में नमक या मिर्च डाल देती, कभी बाथरुम में शैम्पू की बोतल से शैम्पू गिरा देती, तो कभी पूरी टूथपेस्ट पूरे घर में रगड़ देती, नव्या की एसी हरकत पर सब उसे समझाने की बजाय डांटते फ़टकारते थे पर किसीने नव्या की इन हरकतों के पीछे की वजह जानने की कोशिश ही नहीं की, खुद कविता ओर प्रशांत माँ बाप होकर भी अपनी बच्ची के साथ प्यार की बजाय सख्ती से पेश आते थे। नव्या अब ओर अजीब हरकतें करने लगी सर्दियों का मौसम था, अंश को सुलाकर कविता खाना बनाने में व्यस्त हो गई घर के ओर सारे लोग कहीं बाहर गए हुए थे तब नव्या ने चुपके से रुम में जाकर अंश के सारे कपड़े निकाल दिए ओर ए सी चालू करके दरवाज़ा बंद कर दिया, एक घंटे बाद जब कविता काम निपटा कर आई ओर देखा तो अंश बेहोश हो गया था, कविता सोचने लगी ये क्या अंश को तो कपड़े ओर स्वेटर पहनाकर सुलाया था, ओर इतनी तो पागल नहीं हूँ मैं की इतनी ठंड में ए सी चालू कर दूँ।

ज़्यादा सोचने का वक्त नहीं था कविता ने तुरंत प्रशांत को फोन किया ओर डाॅक्टर अमित गुप्ता को घर पर बुला लिया प्रशांत ओर डाॅक्टर आए तब तक अंश को कपड़े पहनाकर हीटर चालू कर दिया  प्रशांत ओर डाॅक्टर आ गए, डाॅक्टर ने पूछा एसे कैसे हो गया प्रशांत की तो मानों अंश जान था तो कविता पर बिगड़ गया तुम क्या कर रही थी बच्चे का ध्यान नहीं रख सकती वगैरह  डाॅक्टर ने अंश को इंजेक्शन लगाया ओर हथेलियों ओर पैरों में मालिश की की तुरंत अंश होश में आ गया, ओर कविता से पूछा अब बताओ एसा हूआ कैसे? कविता ने सारी बात बताई तो डाॅक्टर ने पूछा अगर आपने अंश को कपड़े पहनाए थे ओर ए सी भी आपने चालू नहीं किया तो फिर कौन कर सकता है ? तब कविता के दिमाग में लाइट हुई, नव्या? ओह माय गोड तो क्या नव्या ने किया होगा ओर तो कोई घर में नहीं था तो कविता ने कहा शायद नव्या ने किया हो।

नव्या का नाम सुनते ही प्रशांत का दिमाग हट गया इस लड़की ने आज तो हद ही कर दी आज नहीं छोडूंगा उसे कहाँ है वो कहते नव्या के नाम की ज़ोर से आवाज़ लगाई पर नव्या कहीं नहीं दिखी सारे घर में ढूँढा तो अलमारी के पीछे से नव्या की सिसकियाँ सुनाई दी।

प्रशांत ओर कविता कुछ कहते या करते उससे पहले डाॅक्टर ने नव्या को प्यार से गोद में उठाया ओर पूछा अरे बिटियाँ रानी अकेले-अकेले लुका-छिपी खेल खेल रही है, चलो हम सब साथ मिलकर खेलते है चलो प्रशांत आप ओर कविता भी छुप जाओ नव्या हमें ढूँढेगी, नव्या को आँखों पर हथेलियाँ दबाने को बोलकर आँख मिचकारते कविता ओर प्रशांत को छुप जाने के लिए इशारा किया,

एक-एक करके सबको ढूँढने पर नव्या के नाजुक चेहरे पर पहले सी मुस्कान ओर रौनक आज कई दिनों बाद कविता ने महसूस की ओर नव्या को गोद में उठा लिया, अंश के आने के बाद आज पहली बार नव्या को अपनी माँ की गोद मिली तो नव्या की आँखें नम हो गई ओर कविता से एसे लिपट गई मानों अब कभी इस गोद से अलग ही नहीं होना।

डाॅक्टर ने प्रशांत ओर कविता को अगले दिन नव्या के मामले में विस्तृत चर्चा करने के लिए अपने क्लीनिक बुलाया।

दूसरे दिन
कविता ओर प्रशांत क्लीनिक आ गए डाॅक्टर ने दोनों को नव्या के बारे में बहुत सारे सवाल पूछे, कविता ओर प्रशांत ने नव्या की एक-एक बात ओर हरकतें  बताई तो डाॅक्टर हैरान रह गए की एक पढ़े लिखें माँ बाप होकर भी दोनों ने नव्या के बालमानस के बारे में क्यूँ कभी सोचा नहीं,  चाइल्ड सायकोलोजी भले पढ़ी ना हो पर समझ तो आनी चाहिए। डाॅक्टर ने कहा अंश के आने के बाद आप लोगों ने नव्या के प्रति बेदरकारी दिखाई उसकी हरकतों को नज़र अंदाज़ किया उसका ये परिणाम है, नव्या आठ साल तक आपकी इकलौती संतान थी हर लाड चाव उस अकेली को मिलता था अंश के आने के बाद आप सबका ध्यान नव्या से हटकर पूरी तरह अंश पर लग गया तो उसके बालमानस को ठेस पहूँची, ओर आप सबका ध्यान वापस अपने उपर केंद्रित करने के लिए वो मासूम बच्ची एसी शैतानियाँ करने लगी, तो क्या हुआ की अंश इतने सालों बाद आया ओर लड़का है नव्या भी आपकी ही संतान है, दूसरे बच्चे के आने के बाद अक्सर माँ बाप एसी गलतियाँ कर जाते है दोनों में से एक को पहले बच्चे पर ध्यान देना चाहिए ताकि पहले बच्चे को अकेलापन ओर असलामति महसूस ना हो।

अगर आज ये हादसा ना होता तो आप मुझे ना बुलाते ओर आगे पता नहीं नव्या अंश के साथ क्या कुछ ख़तरनाक कर जाती तो आप दोनों अंश के साथ-साथ नव्या पर भी उतना ही ध्यान दें ओर उतना ही प्यार दें उसे प्यार ओर परवाह की जरूरत है डांटने फ़टकारने से उसके मानस पर आप सबके प्रति एक नफ़रत की भावना पलने लगेगी अंश को उसके करीब लाने की कोशिश कीजिए वो खुद अंश की देखभाल करने लगेगी।

ओर कुछ बाल मनोविज्ञान की किताबें मेरी लाइब्रेरी से लेते जाईए ओर पढ़िए ताकि नव्या के साथ भी आप इंसाफ़ कर पाएँ।

कविता ओर प्रशांत ने शर्मिंदा होते हुए डाॅक्टर से माफ़ी मांगी ओर कुछ किताबें लेकर एक संकल्प के साथ घर आए, ओर आते ही पहले नव्या को प्यार से गोद में उठाकर प्यार किया ओर अंश को उठाकर नव्या की गोद में रख दिया तो आज पहली बार नव्या ने अंश को प्यार किया, गाल को चुमा।
आज कविता ओर प्रशांत भी खुश थे अपना परिवार पूरा करके।।
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  भावना जीतेन्द्र ठाकर
  चूडासान्द्रा, सरजापुर
   बेंगलुरु -कर्नाटक 

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