मैं तुम्हे प्यार करूँ तुम भी मुझे प्यार करो

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बाद मुद्दत के फिर उसके सलाम आये है !
कोरे कागज पे लिखे कुछ पैगाम आये है !!

फिर मेरे दिल में आज अजब सी खामोशी है !
फिर मेरी आँखों मे आँसूं ये क्यूँ भर आये हैं !!

खत में लिखा है के हम मजे में रहते है !
तेरी वादों को हम अब भी खुद में जीते है !!

तुम कहो कैसे हो क्या हम कभी याद आते है !
तेरी यादों के झरोखे मुझे बड़ा तड़फते है !!

एक मुद्दत हुई हमको कि यूँ मजबूर हुए !
क्या ये ही थी मोहब्बत के हम यूँ दूर हुए !!

तुमने भुला दिया है मुझे या के तुम मजबूर हुए !
खता कुछ मेरी भी होगी जो यूँ मगरूर हुए !!

दिल में धड़कन सी जरा अब भी धड़कती तो है !
तेरी चाहत की आंधी जोरों से फिर मचलती तो है !!

क्या कहूँ तुमसे कुछ कह नही पाउँ !
कैसे जीती हूँ मर मर के दिखा नही पाउँ !!

दिन तो कट जाता है इस दुनिया को निभाने में !
रात काटती नही पल पल तुझे भुलाने में !!

जी रही हूँ तेरी यादों में वादों के वफ़ा होने तक !
मिलने आओगे तुम क्या सांसो के फना होने तक !!

आ भी जाओ के फिर मैंने तुम्हें पुकारा है !
तेरी राहों को अपनी पालकों से रोज बुहारा है !!

भूल भी जाओ अब कि किसकी क्या खता है रही !
जिन्दगी हम दोनों पे भारी थी सजा हमको मिली !!

इससे पहले की मेरी बन्द हो ये सांसे !
है यही आरजू जी भर के कर लूं तुझसे मैं बातें !!

आ भी जा अब के खत्म ये इंतजार करो !
मैं तुम्हे प्यार करूँ तुम भी मुझे प्यार करो !!

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Pradeep Sumnakshar
Delhi, India

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