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भगवा को भी बेच् रहे हैं एेसे शातिर चोर हैं !
बेईमानो मक्कारों का अबतो पूर्कस जोर हैं!!
धर्म और अास्था का भी बिजनेश खूब चल रहा हैं!
रोज नया प्रोपेगंडा भी प्रतीमांनो मे ढल रहा है !!
खैर नहीं अब इस मजहब की हिन्दू,मुस्लिम बनाया है!
बिद्वैष की राजनीती ने हम सबको भरमाया है !!
प्रेम और सौहाद्र नहीं है अब कोई त्योहारों में !
नहीं एकता दिखती है अब मनुज ब्योहारों में !!
किंचित ही मन ब्याथित हो रहा ये सब दुनियादारी है!
आज नहीं तो कल "करन" बस तेरी ही बारी है !!