के यारों जिन्दगि अपनी सुकून से बसर फिर हो जाये !!
तेरी जुल्फों की छांव में फिर खटिया डाल कर सोऊँ !
तेरे आँचल को जानम उम्र भर मैं ओढ़ कर सोऊँ !!
तेरे आंखों के काजल से फिर से भाग्य में लिखूं !
तेरी पलकों के साये में मजा दिन रात मैं चखूं !!
तेरी होठों की लाली से आँख सूरज की लड़वाऊं !
सितारे ये जहां भर के जुल्फ तेरी में सजवाऊँ !!
तेरे दिल के मुहल्ले में झूले उल्फत के डलवाऊं !
तुझसे मिलने को गले यारां रोज ईद होली मैं मनवाऊँ !!
तेरे माथे के चंदन से रेख माथे की मैं बदलूं !
तेरी आँखों के सब कलमों ओर आयातों को मै पढ़लूं !!
तुम्हारे जिस्म की खुशबू मुझे हर दम बहकाती है !
तुम्हे पाने की ये चाहत जमाने से लड़ाती है !!
तुम्हरी बातों का जादू यूँ सर चढ़ कर है अब बोले !
कभी मैं डोलूं कभी मन डोले कभी सारा जहां डोले !!