कितना मुश्किल हैं अपना दिल रखना

कितना मुश्किल हैं अपना दिल रखना
हाले दिल जो सुना रहे हैं हम,
अपना ही दिल दुखा रहे हैं हम !

हम जिसे भूल ही नहीं सकते,
फिर उसे क्यूं भुला रहे हैं हम !!

वो जो आए हैं हम से मिलने को,
उनसे कहिए के आ रहे हैं हम !

अभी रूख़सत नहीं हुआ है वो,
हश्र अभी से उठा रहे हैं हम !!

हिज्र में कुछ नहीं गंवाने को,
कुछ तो है जो गंवा रहे हैं हम !

कुछ दिनों से ये लग रहा है हमें,
अपने नज़दीक आ रहे हैं हम !!

बे सबब तो नहीं ये बे चैनी,
दिल में कुछ तो छुपा रहे हैं हम !

जशने तन्हाई चाहता हैं दिल,
सो ये महफ़िल सजा रहे हैं हम !!

आपने ज़ख़्म देके देख लिया,
देखिए मुस्करा रहे हैं हम !

कितना मुश्किल हैं अपना दिल रखना,
कितनी ज़हमत उठा रहे हैं हम !!

ख़ुद को यूं भी अज़ीयतें दी हैं,
बे सबब भी ख़फ़ा रहे हैं हम !!

हश्र ----- क़यामत, प्रलय ,जशने तन्हाई ----- तन्हाई का जश्न,अज़ीयत ------ तकलीफ़
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        जावेद अकरम
   लखनऊ . उत्तर-प्रदेश 


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