चुनों उसे जो करै विकास की बात

चुनों उसे जो करै विकास की बात
रै ले ले छैनी, हथौड़ा, कुदाल, 
भर ले रग रग में विद्रोह की आग, 
एक एक, कर पुष्टक्रूर प्रहार
एक एक, ईंट हिलाना है 
फिर लै कुदाल, खोद खोद के 
जातिवादी सियासत को जड़ से मिटाना है ! 

कोई नहीं आने वाला , 
कोई नहीं बचाने वाला, 
गर अब भी नहीं जाग पाएगा 
तो कभी महाराष्ट्र और कभी गुजरात से 
कोई ना कोई मार भगाएगा !

जातिवाद के मधुर मधुर प्याले में 
जहर, फरेबी पिला रहे 
खुद तो रज गए सिंहासन पर,
मन मोजी मजा उड़ा रहे 
तूमको दो वक्त की रोटी के लिए, 
क्यूं राज्य छोड़ जाना पड़े??? 
दिखा दो अब इनको भी, 
इनके कुटिया का रास्ता

तकनिक चुनों, उद्योग चुनों, 
चुनों उसे जो करै विकास की बात, 
और हो जिसमें, संस्कृति का वृहद् ज्ञान 
ऐसे कैसे नहीं मिलेगा, क्या कहते हो... 
पंकज किचड़ में नहीं खिलेगा क्या कहते हो !

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        निहाल तिवारी
     बामपुर ,इलाहाबाद


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