दूसरा मौका मां बनने का

दूसरा मौका मां बनने का
   उर्मी रसोई में काम कर रही थी और कनखियों से कांताबाई को सफाई करते हुए देख रही थी ।कांताबाई गर्भवती थी नौ महीने पूरे हो गए थे, कभी भी बच्चा हो सकता था। उर्मी चिंतित स्वर में कांता से बोली,” पोहा बनाया है चाय के साथ दे दूं? अब इस हालत में भी काम करने आती हो ,छुट्टी क्यों नहीं ले लेती हो ?”

    कांता उदास स्वर में बोली,” भाभी जी मजबूरी है ,तीन छोरियों का पेट भरना पड़ता है ।वह तो मुआ पी कर पड़ा रहता है और सास को बस ताने मारने और रौब झाड़ने के अलावा कोई काम नहीं।”

    उर्मी उसकी परेशानी समझती थी लेकिन फिर भी कांता से उसे रश्क हो रहा था। गरीब ही सही कांता को ऊपर वाले ने मां बनने का अधिकार तो दिया था , उससे तो वह भी छीन लिया था। जब उर्मी को पता चला था वह गर्भवती है तो उसने और अविनाश ने मीठे मीठे सपने बुनने शुरू कर दिए थे ।दोनों की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं था और वह अपने खाने-पीने उठने बैठने का बहुत ध्यान रखती ।कमरे में सुंदर-सुंदर बच्चों की तस्वीर लगा दी थी। लेकिन भगवान को शायद कुछ और मंजूर था उर्मी का गर्भपात हो गया ।वह बहुत दुखी हुई लेकिन उससे भी बड़े दुख की बात यह थी कि वह कभी मां नहीं बन सकती थी ।वह दुखी मन से कांता को चाय पोहा दे रही थी तभी कांता पेट पकड़कर कराहते हुए कुर्सी पर बैठ गई। उर्मी ने घबराकर पूछा ,”क्या हुआ?”

कांता दर्द भरी आवाज में बोली ,”भाभी जी दर्द शुरू हो गए हैं।”

   उर्मी के हाथ पैर फूल गए , वह बोली,” तुम्हारे घर फोन कर दूं तुम्हारा पति आ जाएगा ,तुम्हें अस्पताल ले जाएगा।” कांता दर्द से कराहते हुए बोली,” नहीं भाभी जी घर मत बताओ ।पास में जो सरकारी अस्पताल है वहां ले चलो ।”

   उर्मी ने तुरंत गाड़ी निकाली और अपनी सहेली डॉक्टर सुलोचना के नर्सिंग होम में ली गई ।दर्द में कराहती कांता को सांत्वना देती रही।

    बाद में जब नर्स ने नवजात बच्ची लाकर उर्मी को दी तो उसकी आंखों में आंसू आ गए ।भले ही कोख से जन्म ना दिया हो लेकिन उस बच्ची को इस संसार में लाने में सहायक तो वह भी बनी थी। वह बच्ची को लेकर तुरंत कांता के पास गई और बड़े भावुक होकर बोली,” देख कांता फूल से प्यारी बच्ची दी है भगवान ने तुझे।”

    कांता ने रोते हुए मुंह फेर लिया और बोली ,”रहने दो भाभी ,बच्ची की किस्मत में तो कांटे भरे हैं ।इसका मुंह देख लिया तो मोह पैदा हो जाएगा। फिर छोड़ कर जाना मुश्किल हो जाएगा ।”

  उर्मी आश्चर्य से बोली,” पागल हो गई है, दूध पिला और अपने घर वालों को बुला ।”

   कांता रोते हुए बोली ,”किस मुंह से लेकर जाऊं इस बच्ची को घर। वह कह रहा था लड़का हुआ तो ले कर आना नहीं तो कहीं भी फेक आना।” बच्ची को गोद में लेकर ,सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए दुखी स्वर में बोली, “इसे अनाथ आश्रम में छोड़ जाऊंगी और कह दूंगी घर पर मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ था ।”

   उर्मी हतप्रभ रह गई, कांता की गोद से बच्चे को लेते हुए बोली ,”अनाथ आश्रम में क्यों मुझे दे दे इस बच्ची को। सारे कांटा निकाल दूंगी इस बच्ची के जीवन से। मुझे भगवान ने दूसरा मौका दिया है मां बनने का।”
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           सीमा जैन
       दिल्ली , इंडिया 

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