रंगों का त्योहार होली |
* रंग तीन मूल के होते है , जिन्हें सतगुण , रजोगुण और तमोगुण की श्रेणी में रखा गया है , बाकी सारे रंग इन्ही तीनो रंगों से मिलकर बनते है , यह तीनो ही मस्तिष्क या विचारों के गुण के रंग है ।
* पीला रंग सात्विक , नीला रंग तामसिक और लाल रंग राजसिक।
* अगर शरीर में लाल रंग का संतुलन टूट जाये तो शरीर में शक्ति की कमी हो सकती है या फिर शक्ति बढ़ भी सकती है। शरीर में अगर अग्नि तत्व ज्यादा है तो क्रोध , उच्चरक्तचाप या फिर मधुमेह जैसे रोग घेर सकते है । हाथ में निचला मंगल देखें { वह हिस्सा जहां से आपकी जीवन रेखा निकलती है } अगर वह अंदर की तरफ धसा हुआ है तो शारीर में शक्ति की कमी रहेगी , और साथ में आत्मविश्वास की भी कमी होगी ।
* लाल रंग पहने , अंगूठे पर लाल रंग लगाये , यह 1 से 2 साल तक रोज करे , अनामिका के सबसे ऊपर वाले पोर पर भी यह रंग लगा सकते है , इससे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी।
* अगर आपको ज्ञान की कमी है , शारीर पतला सा रहता है तो शारीर में पीले रंग का संतुलन कम हो रहा है , इससे लीवर कमजोर पड़ता है , अपच की समस्या जन्म लेती है , और अगर यही रंग की अधिकता हो तो अहंकार के कारण ज्ञान अधूरा रह जाता है , ज्ञान आपको प्रतिष्ठा नहीं दिल पायेगा , पूजा पाठ से आपकी दूरी होती जाएगी , दिमाग में उत्तेजना आ जाती है और आप चैन से एक जगह नहीं बैठ पाते।
* अपनी तर्जनी उंगली के नीचे देखें यह बृहस्पति का हिस्सा है। अगर यह दबा हुआ है तो पीले रंग का प्रयोग करे। और अगर बहुत उठा हुआ है तो पीले रंग का ज्यादा इस्तेमाल करने से बचे। घर में पीला रंग ज्यादा नहीं होना चाहिए, और अगर ज्यादा है तो लाल और सफ़ेद रंगों के इस्तेमाल से इसको संतुलित करे।
* वाहन में पीला रंग उन लोगो को नहीं लेना चाहिए जिनका रंग गोरा है।
* अगर आप Depression की और बढ़ रहे है , क्रोध आता है पर उसके साथ रोने का मन करता है , शारीर गर्म रहता है , बुखार से आप जल्दी प्रभावित हो जाते है , आप जल्दी निराश होने लगता है तो आपको नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए।
* नीला रंग आप अंगूठे पर लगाकर सो जाए , यह रंग आप मधयम उंगली में भी लगा सकते है , कम से कम 6 से 7 घंटे यह रंग लगा रहना चाहिए , इससे व्यक्ति को निराशा से निकलने में मदद मिलेगी , ज्यादा तनाव लेने वाले लोगों को भी नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए।
* नीले रंग के बिंदु पर ध्यान लगाने से क्रोध शांत होता है , जो माता पिता अपने बच्चों की झूठ बोलने की आदत को ख़त्म करना चाहते है , उन बच्चों को नीले रंग का उपयोग करवाएं और नीले रंग के बिंदु पर बच्चों को ध्यान लगाने को बोले।
* जो बच्चे कमजोर स्मरण शक्ति वाले है उन्हें भी नीला रंग इस्तेमाल में लाना चाहिए।
* आपने यह नोट किया होगा की जीवन के कुछ समय पर आपको अलग अलग रंग पसंद आते है , यह सीधा संकेत ग्रहों से जुड़ा हुआ होता है , जैसे की जिसका बृहस्पति अच्छा होगा उसे पीला रंग बहुत भायेगा।
* जिन लोगो को लाल रंग पसंद होता है , वह शान्ति से दूर रहना पसंद करते है , पढ़ाई लिखाई में ज्यादा रूचि नहीं होती , मानसिक संतुलन ज्यादा देर नहीं रख पाते और तैश में आकर कुछ भी बोल देने की आदत होती है।
* जिन्हें नीला , नारंगी , हल्का हरा , जामुनी या पिंक रंग अच्छा लगता है वह सामान्य तौर पर धेर्यवान होते है , और अपनी बुद्धि का प्रयोग ज्यादा करते है।
* काला पसंद करने वाले लोग दिखने में ठीक होते है , परन्तु क्रोध और आलोचना का शिकार दूसरों से जल्दी बनते है , शरीर में थकावट जल्दी आ जाती है।
* सफ़ेद रंग सत्ता का रंग है , महत्त्वाकांक्षाओं का रंग है , सफ़ेद रंग को पसंद करने वाले लोग Public life में ज्यादा रूचि लेते है और वह सफल भी होते है।
* स्लेटी रंग को पसंद करने वाले लोग तनाव से घिरे रहते है , अकारण डर लगा रहता है , असुरक्षा का भय , ऐसे में स्लेटी रंग हमेशा सफ़ेद रंग के साथ प्रयोग में लाना चाहिए।
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ऋषिकेश पांडेय
कानपूर ,उत्तर-प्रदेश